उत्तर प्रदेश के बागपत में मां ने बच्ची को नौ महीने तक कोख में जिंदा रखा तो अब उस बच्ची को सरकारी सिस्टम ने मार डाला। एक महिला को प्रसव पीड़ा होने पर पहले एंबुलेंस बुलवाने के लिए कई बार फोन करना पड़ा और एंबुलेंस नहीं आने पर उसे ई-रिक्शा में अस्पताल लेकर जाना पड़ा। वहां डाक्टर नहीं मिले और महिला ने बच्ची को जन्म दे दिया। बच्ची कुछ देर जिंदा रही, लेकिन सरकारी सिस्टम के आगे वह भी हारने से उसकी मौत हो गई। उस बच्ची के लिए परिवार वाले न्याय मांग रहे हैं।
खुब्बीपुर निवाड़ा गांव की रहने वाली आयशा को शुक्रवार सुबह करीब साढ़े आठ बजे प्रसव पीड़ा हुई। इसकी सूचना मिलने पर आशा वर्कर कुसुम वहां पहुंच गई और उसने एंबुलेंस मंगवाने के लिए फोन किया। उसे बताया गया कि एंबुलेंस अभी खेकड़ा है तो उसने जल्दी पहुंचने की बात कही। इसके कुछ देर बाद भी एंबुलेंस नहीं पहुंची तो उसने दोबारा से फोन किया। लेकिन एंबुलेंस नहीं आई। इस बीच ही आयशा को प्रसव पीड़ा बढने लगी तो एंबुलेंस का करीब बीस मिनट इंतजार करके आयशा को परिजन पैदल ही अस्पताल के लिए लेकर जाने लगे।
वह करीब आधा किमी चले तो उनको ई-रिक्शा मिल गया और वह आयशा को ई-रिक्शा में बैठाकर महिला अस्पताल पहुंचे। आयशा की जेठानी गुलनाज, गुलशन व फरीदा का आरोप है कि उसे अस्पताल में भर्ती करा दिया, लेकिन वहां उपचार के लिए कोई डाक्टर नहीं थी। जहां आयशा को प्रसव हो गया और उसने एक बच्ची को जन्म दिया।
बच्ची की हालत खराब थी तो वह डाक्टर को जल्दी बुलवाने के लिए अस्पताल में दौड़ते रहे। आरोप है कि वहां काफी देर तक कोई डाक्टर नहीं पहुंची और बच्ची की मौत हो गई। इसपर आयशा के परिजनों ने अस्पताल में हंगामा शुरू कर दिया। उन्होंने इस मामले में लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
पिछले महीने हुई थी महिला की मौत
महिला अस्पताल में पहली बार किसी की मौत नहीं हुई है। बल्कि पिछले महीने भी खेकड़ा की एक महिला की मौत हो गई थी। महिला को प्रसव होने के बाद सामान्य वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया था और उसकी हालत बिगडने पर कोई डाक्टर नहीं मिली थी। परिजनों ने कार्रवाई के लिए डीएम के यहां शिकायत की हुई है और उसकी भी जांच चल रही है।
महिला के यहां से फोन करने के करीब 16 मिनट में एंबुलेंस पहुंच गई थी। इस बारे में मैने महिला के परिजनों से बातचीत की। उन्होंने बताया है कि हम अस्पताल में समय पर पहुंच गए थे, लेकिन वहां डाक्टर नहीं मिलने के कारण परेशानी हुई। अगर अस्पताल में डाक्टर मिलते तो बच्ची की जान बच सकती थी। -राजन, एंबुलेंस जिला प्रभारी
इस मामले में एंबुलेंस प्रभारी से जवाब तलब किया गया है और अस्पताल में डाक्टर नहीं होने की जांच भी कराई जाएगी। अगर बच्ची की मौत के लिए कोई जिम्मेदार है तो उसपर कार्रवाई जरूर होगी। -डाॅ. दिनेश कुमार, सीएमओ
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