मुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य के कुशल दिशा निर्देशन में ग्राम्य विकास विभाग की विभिन्न योजनाओं में महिलाओं की अधिक से अधिक सहभागिता सुनिश्चित करने के भरसक प्रयास किए जा रहे हैं। एक तरफ जहां उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की विभिन्न गतिविधियों में महिला स्वयं सहायता समूहों की सहभागिता सुनिश्चित कर महिला सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं, वही महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में भी अधिक से अधिक महिलाओं की सहभागिता सुनिश्चित कराई जा रही है और महिलाओं के आर्थिक सामाजिक व शैक्षिक उत्थान के लिए सरकार पूरी प्रतिबद्धता व संकल्पबद्धता के साथ कार्य कर रही है। उप मुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा है कि मनरेगा और एन आर एल एम में मातृशक्ति की भागीदारी उनके स्वावलंबन का मजबूत आधार बन रही है।इस तरह यह योजना देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण और कारगर कदम साबित हो रही है।
ग्राम्य विकास विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार विगत 5 वर्षों में 1.40 करोड़ महिलाओं को मनरेगा योजना अंतर्गत रोजगार उपलब्ध कराया गया एवं मानव दिवस सृजन में महिला सहभागिता वित्तीय 2021-22 में 38 प्रतिशत की गई है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में 19.97 लाख महिला श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराया जा चुका है एवं मानव दिवस सृजन में महिला सहभागिता 38 प्रतिशत है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में महिला स्वयं सहायता समूह की 19238 महिला मेटो को चयनित कर प्रशिक्षित किया गया एवं 12580 महिला मेटो को कार्य उपलब्ध कराया गया है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में 35000 महिला मेटों को रोजगार देने का लक्ष्य रखा गया है, जिसके सापेक्ष 16480 महिला मेटों को कार्य पर नियोजित कर लिया गया है। प्रदेश में 20 हजार से अधिक अमृत सरोवरो/तालाबों का चयन कर लिया गया है और 11204 अमृत सरोवरों का प्राक्कलन बनाते हुए 09 हजार से अधिक अमृत सरोवरो पर मनरेगा से कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। मनरेगा से इस वर्ष 75 विलुप्तप्राय नदियों के पुनरुद्धार का लक्ष्य रखा गया है। जिसमें 49जनपदो की 64 विलुप्तप्राय नदियों के पुनरुद्धार कार्य भी चल रहा है,शेष की कार्ययोजना भी तैयार हैं। इसके अलावा वृक्षारोपण, चक रोड निर्माण, पटरी मरम्मत, इण्टर लाकिंग आदि प्रमुख कार्य भी मनरेगा के अंतर्गत कराये जा रहे हैं।
ग्राम्य विकास आयुक्त श्री जी एस प्रियदर्शी ने बताया कि मनरेगा के तहत लगभग 234 प्रकार के कार्य कराते जाते हैं। मनरेगा की साइटों पर 20 मजदूरो पर 1महिला मेट की तैनाती का प्राविधान है। स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को महिला मेटों के रूप में चयन किया जाता है। चयन के पश्चात इन्हें प्रशिक्षण भी दिया जाता है। विभाग द्वारा बनाए गए ’यूपी इम्पेक्ट’ नाम के एप के माध्यम से महिला मेटों के कार्यों, हाजिरी, नियोजन, प्रशिक्षण, भुगतान आदि की ट्रैकिंग की जाती है। महिला मेट भी इस एप के जरिए अपनी, समस्याएं, व सुझाव आदि भी शेयर कर सकती हैं। महिला मेटो को स्किल्ड श्रमिक के रूप में पारिश्रमिक का भुगतान किया जाता है। महिला मेटो को चालू वित्तीय वर्ष में रू 16 करोड़ से अधिक का भुगतान किया जा चुका है, मजदूरों व मेटों को पारिश्रमिक समय से भुगतान कराने के प्रभावी दिशा निर्देश सभी सम्बंधित अधिकारियों को दिए गए हैं और भुगतान के विन्दु पर लगातार समीक्षा किये जाने हेतु भी सम्बंधित अधिकारियों को निर्देशित किया गया है। श्री प्रियदर्शी ने बताया कि स्टेट लेवल से भी इस पर लगातार अनुश्रवण व समीक्षा की जा रही है।
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