गोरखपुर: गोरखपुर से शामली के बीच बनने वाला 700 किलोमीटर लंबा तराई एक्सप्रेसवे (Gorakhpur- Shamli Terai Expressway) काफी महत्वपूर्ण होने वाला है। वर्ष 2017 में योगी आदित्यनाथ सरकार (Yogi Adityanath Governement) के कार्यभार ग्रहण करने के बाद प्रदेश में कनेक्टिविटी पर काफी जोर दिया जा रहा है। इस क्रम में पिछले पांच सालों में प्रदेश में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का काम पूरा कराया गया। बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे को पूरा कराया गया। गंगा एक्सप्रेसवे की रूपरेखा तैयार की गई। योजना पर काम भी शुरू हो गया है। इसके बाद तराई एक्सप्रेसवे को जमीन पर उतारने की तैयारियां शुरू की गई हैं। 700 किलोमीटर लंबा यह एक्सप्रेसवे भारत और नेपाल की सीमा के पास से गुजरेगा और यह इस पूरे इलाके में रोड कनेक्टिविटी को बूस्ट देगा। साथ ही, आपात स्थिति में इसका उपयोग लड़ाकू विमानों को उतारने के लिए भी किया जा सकेगा। इस एक्सप्रेसवे पर एयर स्ट्रिप बनाने की भी तैयारी की जा रही है। नेपाल के रास्ते चीन से आने वाली संभावित चुनौतियों को यहां से निपटा जा सकेगा।
तराई एक्सप्रेसवे को जमीन पर उतारने की दिशा में काम शुरू कर दिया गया है। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने सड़क निर्माण के लिए सर्वे का काम शुरू कर दिया है। पहले चरण में उन इलाकों की पहचान की जा रही है, जहां तीन किलोमीटर लंबाई में बिल्कुल सीधी सड़क का निर्माण किया जा सके। स्थान चयन के बाद वहां पर एयर स्ट्रिप के निर्माण में आसानी होगी। सीएम योगी ने तराई एक्सप्रेसवे पर एयर स्ट्रिप के निर्माण की पहल की है। इससे इस एक्सप्रेसवे की महत्ता काफी बढ़ने वाली है। सीएम योगी आदित्यनाथ के सुझाव के बाद तराई एक्सप्रेसवे के लेआउट प्लान में भी कुछ बदलाव किया गया है।
योगी ने दिया तराई क्षेत्र से इसे निकालने का सुझाव
सीएम योगी आदित्यनाथ ने पिछले दिनों एनएचएआई की चेयरपर्सन अलका उपाध्याय से गोरखपुर में चर्चा के दौरान एक्सप्रेसवे को तराई क्षेत्र से गुजारने का सुझाव दिया। चेयरपर्सन सीएम योगी को एक्सप्रेसवे की प्रगति से अवगत कराने पहुंची थीं। सीएम ने तब कहा था कि एक्सप्रेसवे के मार्ग में कुछ बदलाव किया जाए। इसे नेपाल सीमा से सटे तराई क्षेत्र से गुजारा जाए। इससे इन इलाकों को भी सीधी कनेक्टिविटी मिल सकेगी। ये क्षेत्र भी इस एक्सप्रेसवे के माध्यम से विकास की तेज रफ्तार से जुड़ पाएंगे। एनएचएआई चेयरपर्सन ने उस समय प्रस्ताव पर सहमति जताते हुए सर्वे शुरू कराने की बात कही थी। अब सर्वे का कार्य शुरू हो गया है।
स्टार्ट प्वाइंट पर भी चल रहा मंथन
तराई एक्सप्रेसवे की शुरुआत को लेकर भी मंथन चल रहा है। तय किया जा रहा है कि इसे जंगल कौड़िया या कैंपियरगंज में से कहां से शुरू किया जाए। एक्सप्रेसवे की लागत को कम करने को लेकर भी चर्चा चल रही है। इसके लिए ग्रीन बेल्ट से इसके निकालने की योजना बनाई जा रही है। सर्वे के दौरान इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि रूट में नदी, नाले और चौराहे कम आएं। इससे अंडरपास और पुलों की संख्या को कम रखना पड़ेगा और इससे लागत भी कम होगी। एनएचएआई के अधिकारियों ने उम्मीद जताई है कि यह एक्सप्रेसवे 90 से 100 मीटर तक चौड़ा हो सकता है।
पूर्वी से पश्चिमी यूपी को जोड़ने की है योजना
तराई एक्सप्रेसवे के जरिए पूर्वी यूपी को पश्चिमी यूपी से सीधे जोड़ने की योजना है। इस एक्सप्रेसवे से पूर्वी यूपी के गोरखपुर, संतकबीरनगर, सिद्धार्थनगर, बलरामपुर, बहराइच आदि से निकालने की योजना है। इन इलाकों में सर्वे का काम चल रहा है। इन इलाकों से होते हुए यह एक्सप्रेसवे लखनऊ, सीतापुर, हरदोई, शाहजहांपुर, बदायूं, बरेली, रामपुर, मुरादाबाद, संभल, अमरोहा, बिजनौर, मेरठ, मुफ्फरनगर, सहारनपुर से होते हुए शामली तक जाएगा। इस एक्सप्रेसवे के बनने से इस पूरे इलाके में विकास कार्यक्रमों को तेजी से लागू करने में सफलता मिल सकेगी।
एनएचएआई की परियोजना निदेशक सीएम द्विवेदी का कहना है कि तराई एक्सप्रेसवे के लिए सर्वे का काम शुरू करा दिया गया है। सर्वे के क्रम में देखा जा रहा है कि गोरखपुर में इसे कहां से शुरू किया जाए? इस पर भी ध्यान दिया जा रहा है कि गोरखपुर और नेपाल के बीच तीन किलोमीटर सीधा एक्सप्रेसवे का निर्माण हो सके। इससे एयरस्ट्रिप की राह आसान हो जाएगी।
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