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प्रदेश के नगरीय निकायों में जीवन को बेहतर बनाने, सौन्दर्यीकरण, साफ-सफाई, पर्यावरण संरक्षण, शुद्ध वायु की दिशा में तेजी से कार्य कराए जा रहे

प्रदेश के शहरों को साफ सुथरा बनाने तथा नगरीय व्यवस्था में सुधार कर नगरीय जीवन को बेहतर बनाने के लिए विचार-विमर्श हेतु आज नगरीय निकाय निदेशालय में सब के लिए स्वस्थ शहर, स्वच्छता की नई लहर के संकल्प के साथ ’शहरों में समावेशी स्वच्छता के लिए सेप्टेज प्रबंधन’ विषयक दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यशाला में सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई), नगर विकास तथा अटल मिशन फॉर रिजुवेनेशन एण्ड अर्बन ट्रांसफॉरमेशन (एएमआरयूटी) ने प्रतिभाग किया और प्रदेश में फीकल सल्ज और सेफ्टेज मैनेजमेंट के तहत हो रहे कार्यों पर चर्चा की गई और सीवेज ट्रीटमेंट, अपशिष्ट प्रबंधन के लिए अनेक सुझाव दिए गए। इस अवसर पर प्रदेश के शहरों में समावेशी स्वच्छता के लिए सेप्टेज प्रबंधन पर एक रिपोर्ट भी प्रस्तुत की गई।
प्रमुख सचिव नगर विकास श्री अमृत अभिजात ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री जी के कुशल नेतृत्व में प्रदेश के नगरीय निकायों में जीवन को बेहतर बनाने, सौन्दर्यीकरण, साफ-सफाई, पर्यावरण संरक्षण, शुद्ध वायु की दिशा में तेजी से कार्य कराए जा रहे हैं। फीकल स्लज और सेप्टेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाया जा रहा है। साथ ही अपशिष्ट जल के परिवहन, उपचार और सुरक्षित निपटान पर भी कार्य हो रहा है। उन्होंने कहा कि शहरों में साफ सफाई और स्वच्छता के लिए ’ईज ऑफ सेप्टेज मैनेजमेंट’ के आधार पर जिलों की रैंकिंग निर्धारित की जानी चाहिए। प्रदेश की एक बड़ी आबादी शहरों में निवास करती है, जिससे शहरी स्वच्छता सुनिश्चित कराना मुश्किल हो रहा है। उन्होंने कहा कि एएमआरयूटी, नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) और यूएलबी के सहयोग से अब तक प्रदेश के 53 जिलों में 59 शहरों व कस्बों में 62 एफएसटीपी का निर्माण कराया जा रहा है। प्रदेश के 10 शहरों में सेप्टिक ट्रीटमेंन्ट प्लांट पूरी तरह से चालू हैं। उन्होंने कहा कि सभी नगरीय निकायों में एफएसटीपी के बुनियादी ढांचे का निर्माण हो रहा है। झांसी नगर निगम द्वारा 6 केएलडी प्रतिदिन की क्षमता का एक मल कीचड़ उपचार संयंत्र चालू किया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य की फीकल स्लज एण्ड सेप्टेज मैनेजमेंट (एफएसएसएम) नीति 2023 के तहत पूरे राज्य के नगरीय निकायों में सेप्टेज प्रबंधन की व्यवस्था की जानी है।
कार्यशाला में सेंटर फॉर साइंस एंड इनवायरनमेंट (सीएसई) की डायरेक्टर जनरल श्रीमती सुनीता नारायण ने कहा कि उत्तर प्रदेश फीकल स्लज और सेप्टेज प्रबंधन के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। इस क्षेत्र में भारी निवेश की भी आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि समावेशी स्वच्छता के लिए एक मजबूत सेप्टेज प्रबंधन सुनिश्चित करना होगा तभी जीवन के लिए एक बेहतरीन वातावरण तैयार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि शहरीकरण के कारण शहरी स्वच्छता देश के अन्य राज्यों में भी समस्या बनी हुई है, लेकिन वैज्ञानिक तौर तरीके तथा जैविक उपचार प्रणालियों के माध्यम से इसको निपटाने में सफलता हासिल की जा सकती है।
कार्यशाला में फीकल स्लज और सेप्टेज ट्रीटमेंट व स्वच्छता के क्षेत्र में अच्छा कार्य करने वाले नगर निगमों एवं नगर पालिका परिषदों व नगर पंचायतों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर उ0प्र0 में समावेशी स्वच्छता के लिए सेप्टेज प्रबंधन पर पुस्तक का विमोचन भी किया गया।
कार्यशाला में निदेशक नगरीय निकाय सुश्री नेहा शर्मा, एएमआरयूटी के एडिशनल मिशन डायरेक्टर श्री पी0के0 श्रीवास्तव तथा सीएसई के प्रोग्र्राम डायरेक्टर श्री दीपेन्द्र एस0 कपूर आदि ने भी अपने विचार रखे। इस अवसर पर नगर निगमों के नगर आयुक्त तथा नगर पालिका परिषदों एवं नगर पंचायतों के अधिशासी अधिकारी उपस्थित थे।