चंबल नदी के तेज बहाव से जूझ रहे घड़ियालों के शिशु जिंदगी के लिए झटपटा रहे हैं। नदी का जलस्तर लगातार बढ़ने से घड़ियालों के शिशुओं के बहने का खतरा पैदा हो गया है। खादरों में आने वाले घड़ियाल शिशुओं को नदी के किनारे तक पहुंचाने के लिए वन विभाग कॉम्बिंग कर रहा है। बाह के रेंजर आरके सिंह राठौड़ ने बताया कि अभी नदी का बहाव ज्यादा तेज नहीं है। उफान से पहले घड़ियाल शिशुओं को नदी की लहरों को चीरने में अभ्यस्त होने का करीब 10 दिन का वक्त मिला था। इसलिए ज्यादा खतरा नहीं है। नदी की बीच धार में फंसे कुछ शिशुओं को नुकसान हो सकता है। तेज बहाव की स्थिति में शिशुओं के बहने को लेकर चिंता जरूर है। लगातार नजर रखी जा रही है।
दुनिया में लुप्त प्राय स्थिति में पहुंचे घड़ियालों के लिए चंबल नदी संजीवनी बनी है। यहां घड़ियालों का संरक्षण वर्ष 1979 से हो रहा है। हर साल नदी में घड़ियालों का कुनबा बढ़ रहा है। जून महीन में करीब 2700 नन्हें घड़ियालों को नदी में छोड़ा गया था, लेकिन नदी का जलस्तर बढ़ने से इनके बहने का खतरा पैदा हो गया है।
रेंजर आरके सिंह राठौड़ ने बताया कि घड़ियाल के शिशुओं का सर्वाइवल (बचने की दर) करीब पांच फीसदी रहता है। हर साल आने वाली बाढ़ में बहकर शिशुओं की ज्यादा मौत होती है। बचने वाले घड़ियाल शिशुओं की दर बढ़ाने के लिए हैचिंग के बाद से ही विभाग इनकी देखभाल कर रहा है।
राजस्थान के कोटा बैराज से 1.25 लाख क्यूसेक पानी चंबल नदी में छोड़ा गया है। इससे नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। आगरा के पिनाहट में बुधवार की सुबह चंबल का जलस्तर बढ़कर 120 मीटर से ऊपर पहुंच गया।
खादर और खेतों में पानी भरने के बाद 38 गांवों के लोग बाढ़ की आशंका से डरे हुए हैं। हालांकि चेतावनी स्तर चंबल नदी अभी सात मीटर नीचे बह रही है। बाह के एसडीएम रतन वर्मा ने बताया कि 38 गांवों के लेखपालों को नदी के जलस्तर पर निगरानी करते रहने के निर्देश दिए गए हैं।
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