माटी कला बोर्ड द्वारा प्रदेश के 46,737 मिट्टी हस्तशिल्पियों को चिहिन्त कर उनको बोर्ड द्वारा संचालित योजनाआंे से लाभान्वित किया गया। इन योजनाओं से लगभग 28000 लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त हुए। मिट्टी हस्तशिल्पियों के छोटे कारोबार को बड़ा बनाने के लिए इच्छुक 474 कारीगरों को 811.85 लाख रुपये का ऋण उपलब्ध कराया गया, जिसके फलस्वरूप कुम्हारी कला से जुड़े कारीगरों की कौशल वृद्धि के साथ-साथ प्रति परिवार औसत आय में भी दो से तीन गुना वृद्धि हुई है।
यह जानकारी अपर मुख्य सचिव, खादी एवं ग्रमोद्योग डा0 नवनीत सहगल ने दी। उन्होंने बताया कि प्रदेश में माटीकला समन्वित विकास कार्यक्रम को विशेष प्राथमिकता दी गई और मिट्टी व्यवसाय से जुड़े 28000 कारीगरों को मिट्टी निकालने हेतु राजस्व पट्टे आवंटित कराये गये। माटीकला टूल-किट्स वितरण योजना के तहत कारीगरों में 8190 इलेक्ट्रिक चाक का वितरण किया गया। इसके साथ ही मिट्टी शिल्पकारों को पगमिल, आधुनिक भट्टी, दीया मेकिंग मशीन, स्प्रे पेंटिंग मशीन मय पेंटिंग व्हील तथा गौरी-गणेश की मूतियों के निर्माण हेतु 300 से अधिक पी0ओ0पी0 मास्टर डाई का वितरण किया गया। कम्प्रेशर पेंटिंग मशीन मय पेंटिंग व्हील देकर लगभग 1500 कारीगरों को लाभान्वित किया गया। टूलकिट पाने वाले 8385 लाभार्थियों को शिल्पकारी का प्रशिक्षण भी दिया गया।
अपर मुख्य सचिव ने बताया कि विगत तीन वर्षों से प्रदेश के 75 जनपदों में दीवाली पर्व के अवसर पर तीन दिवसीय माटीकला बिक्री मेले का आयोजन कराया जा रहा है। राजधानी लखनऊ में 10 दिवसीय मेले का आयोजन हुआ। इन मेले में अपना स्टाल लगाने वाले माटीकला कारीगरों के 300 लाख रुपये मूल्य के उत्पादों की बिक्री हुई। आने वाली दीवाली पर भी प्रदेश भर में इसी प्रकार के मेलों एवं प्रदर्शिनियों का आयोजन कराया जायेगा।
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