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जरा संभलकर आइए मिर्जापुर! यहां के लुभाते पिकनिक स्पॉट और झरने बन रहे मौत के अड्डे

मिर्जापुर: बारिश के मौसम में अगर घूमने का मन है तो मिर्जापुर के पिकनिक स्पॉट आपके लिए बेहतर विकल्प हैं, लेकिन जाना जरा संभल कर, नहीं तो जा सकती है जान। हर साल यहां पर कई लोग अपनी जान गंवाते हैं। उसके बाद भी न तो सैलानी और न तो प्रशासन सबक लेता है। जिसके चलते इस साल 15 दिन के अंदर 7 लोगों की जान चली गई। वहीं, पिछले वर्ष 23 दिन के अंदर आधा दर्जन लोगों की मौत हुई थी। बता दें कि पिछले दो साल में लखनिया दरी और चूनादरी में ही सबसे ज्यादा घटनाएं देखने को मिली हैं।

मनमोहक नजारे की चाहत में खिंचे चले आते हैं लोग
दरअसल, यूपी का मिर्जापुर जिला विंध्य पहाड़ी की गोद में बसा है। जिसके कारण से यहां पर दर्जनों झरने और बांध हैं। जिनमें प्रमुख रूप से विंढम फॉल, लखनिया दरी, चूनादरी, सिद्धनाथ की दरी, सिरसी फॉल, टांडा फॉल आदि प्रमुख हैं। बारिश के मौसम में यहां का प्राकृतिक मौसम खुशनुमा हो जाता है और पहाड़ों से रिसता पानी झरने का रूप ले लेता है। इसी के चलते यहां के पिकनिक स्थलों पर वाराणसी, प्रयागराज समेत पूर्वांचल के कई जिलों के लोग अपने दोस्तों और परिवार के साथ यहां घूमने आते हैं। बारिश के मौसम में यह इलाका स्वर्ग से कम नहीं नजर आता है। इसी के चलते हर साल इन स्थलों पर भीड़ बढ़ती ही जा रही है।

मस्ती और लापरवाही में जाती है जान
इस साल की बात करें तो अभी तक इस मौसम में एक बार ही सही से बारिश हुई है, जिसके चलते लखनियां दरी और चूनादरी, जोकि वाराणसी शक्तिनगर मार्ग पर स्थित है। यहां पर सबसे ज्यादा भीड़ देखने को मिलती है। इस साल मस्ती और लापरवाही के चलते मात्र 15 दिन के अंदर ही डूबने से 7 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं, जिसमे सबसे ज्यादा लोग वाराणसी और सोनभद्र के हैं। वहीं, पिछले वर्ष 20 जून से 11 जुलाई के बीच आधा दर्जन लोगों की जान जा चुकी है।

घटनाओं से नहीं लेता कोई सबक
स्थानीय लोगों के अनुसार, यहां पर सैलानी घूमने और मस्ती करने के मूड में आते हैं। अधिकतर युवाओं की टोली यहां पर पर्यटन के बहाने दारू-मुर्गा की पार्टी भी करते हैं और नहाने व सेल्फी खींचने के शौक के कारण हादसे का शिकार हो जाते हैं। हर साल यहां घटनाएं घटती हैं, लेकिन पुलिस या प्रशासन की तरफ से कोई खास इंतजाम नहीं किया जाता। केवल हादसों के बाद प्रशासन की नींद खुलती है और समय बीत जाने के बाद फिर वही हाल हो जाता है।
इनपुट- मनीष सिंह