आयुष तिवारी, लखनऊ : मोहनलालगंज की एक महिला नसबंदी कराने के 3 साल बाद गर्भवती हो गई। इस मामले में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने बीमा कंपनी को पीड़ित महिला को एक माह में तीन लाख रुपये भुगतान करने का आदेश दिया है। ऐसा न करने पर कुल राशि पर 12 प्रतिशत ब्याज देना होगा।
मोहनलालगंज के उतरावां गांव की सुशीला आशा बहू हैं। उन्होंने परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत 17 जुलाई 2010 को मोहनलालगंज सीएचसी पर नसबंदी करवाई थी। चिकित्सीय लापरवाही के कारण वह नसबंदी के 3 साल बाद गर्भवती हो गई। जिसके बाद उन्होंने अपने साथ घटित घटना की सूचना सीएचसी के अधीक्षक को दी। अधीक्षक ने सुशीला को नसबंदी फेल होने पर 30 हजार रुपये का बीमा क्लेम दिलाने का आश्वासन दिया। इसके लिए अधीक्षक और सीएमओ की ओर से बीमा क्लेम भुगतान के लिए ‘लोम्बार्ड जनरल इश्योरेंस कंपनी लिमिटेड’ को पत्र भेजा गया। लेकिन बीमा कंपनी की ओर पीड़िता को भुगतान न करके उसका दावा निरस्त कर दिया गया। इसके लिए बीमा कंपनी ने उसे कोई कारण भी नहीं बताया। इस बीच पीड़िता ने जुलाई 2012 में एक बच्ची जन्म दिया।
बीमा कंपनी द्वारा क्लेम न भुगतान करने पर पीड़िता ने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में गुहार लगाई। पीड़िता की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया कि उसके तीन बच्चे पहले से ही हैं। इसलिए उसने नसबंदी कराई थी लेकिन चिकित्सा लापरवाही से उसे एक और बेटी हो गई। उसकी माली हालत ठीक नहीं। इसलिए उसे बेटी के भरण पोषण, बीमा दावा, मानसिक कष्ट व वाद व्यय की धनराशि 18 प्रतिशत ब्याज के साथ दिलाई जाए। इस पर उपभोक्ता आयोग द्वितीय के न्यायिक अधिकारी ने बीमा कंपनी का पक्ष सुना। बीमा कंपनी ने आयोग से कहा नसबंदी फेल होने पर कंपनी को एक साल में 14 करोड़ रुपये बीमा दावा भुगतान करना होता है जिसका वह पहले ही भुगतान कर चुके हैं।
इसके साथ बीमा कंपनी ने आयोग को बताया सीएमओ और अधीक्षक की ओर से उसे ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर की सूचना व अन्य प्रपत्र देने में लापरवाही की गई। जिस कारण वादी का दावा निरस्त किया गया। बीमा कंपनी का पक्ष सुनकर न्यायिक अधिकारी अमरजीत त्रिपाठी ने कहा वादी की ओर से समस्त दस्तावेज बीमा कंपनी को दिए गए हैं। इसके प्रमाण मौजूद हैं। इसलिए बीमा कंपनी याचिकाकर्ता को बीमा दावा सहित बच्ची के भरण पोषण की राशि उसे भुगतान करें।
बच्ची के भरण पोषण लिए दे 3 लाख
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता संदीप पांडेय ने बताया न्यायिक अधिकारी अमरजीत त्रिपाठी व सदस्य प्रतिभा सिंह ने शुक्रवार को बीमा कंपनी को 3 लाख रुपये भरण पोषण, 30 हजार रुपये बीमा दावा, 50 हजार रुपये मानसिक कष्ट व 5 हजार रुपये वाद व्यय के रूप 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से याचिका कर्ता को भुगतान करने का आदेश दिया है। 30 दिन में ऐसा न करने पर कुल राशि पर 12 प्रतिशत ब्याज देना होगा।
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