लखनऊ: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की राजनीति में बड़ा उलटफेर होता दिख रहा है। राष्ट्रपति चुनाव (President Election) ने विपक्षी एकता में सेंध लगाई है। सेंध इस प्रकार से कि विपक्षी दलों के संयुक्त उम्मीदवार के पक्ष में ही समाजवादी पार्टी से विधायक और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी अध्यक्ष शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) नजर नहीं आ रहे हैं। उनके साथ-साथ ओम प्रकाश राजभर (Om Prakash Rajbhar) भी पाला बदलते दिख रहे हैं। वहीं जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया (Raghuraj Pratap Singh Alias Raja Bhaiya) भी एनडीए के खेमे के साथ दिखे हैं। यूपी की राजनीति एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के लखनऊ पहुंचने के पहले ही बदलने लगी थी। नजर अब आ रही है।
एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी शुक्रवार की शाम राजधानी लखनऊ पहुंची। उनके सम्मान में मुख्यमंत्री आवास में रात्रिभोज का कार्यक्रम रखा गया था। यहां पर भारतीय जनता पार्टी के मंत्री, विधायकों और शीर्ष नेताओं के साथ सहयोगी दलों अपना दल सोनेलाल और निषाद पार्टी के शीर्ष नेताओं का जुटान था। इस कार्यक्रम में शिवपाल यादव पहुंचे तो सियासी हलचल तेज हो गई। शिवपाल यादव पहले से ही विरोधी तेवर दिखा रहे थे। ऐसे में उनके वहां पहुंचने पर लोगों को अधिक आश्चर्य नहीं हुआ। लेकिन, इसके बाद समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ने वाली सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर मुख्यमंत्री आवास पहुंचे। इससे सियासी तापमान चढ़ने लगा। वहां पर राजा भैया की भी मौजूदगी थी।
संख्या लिहाज से मजबूत होंगी एनडीए उम्मीदवार
एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू उत्तर प्रदेश में संख्या लिहाज से काफी मजबूत होती दिख रही हैं। उन्हें एनडीए के 66 सांसद और 273 विधायकों का पहले से समर्थन हासिल था। बाद में मायावती ने भी उन्हें समर्थन देने का ऐलान कर दिया। इससे उनके पक्ष में 10 सांसद और एक विधायक का वोट जुड़ेगा। इसके अलावा अब शिवपाल यादव के आने से सपा का भी एक वोट द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में जाता दिख रहा है। राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल के 2 वोट भी एनडीए उम्मीदवार के पक्ष में जाएंगे।
ओम प्रकाश राजभर के एनडीए उम्मीदवार के पक्ष में आने के बाद अब सुभासपा के 6 वोट इस पाले में जाते दिख रहे हैं। इस प्रकार यूपी के 76 सांसद और 282 विधायकों का समर्थन सीधे एनडीए उम्मीदवार के पाले में जाता दिख रहा है। यह यूपी की बदलती राजनीति को दिखा रहा है।
यशवंत सिन्हा के पक्ष में घटा वोट
समाजवादी पार्टी के विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को समर्थन दिए जाने से उन्हें यूपी से विपक्ष का सभी वोट अपने पक्ष में आने की उम्मीद थी। लेकिन, ऐसा नहीं हो सका। सपा अपने खेमे को पाले में रखने में कामयाब नहीं हो पाई। गुरुवार को यशवंत सिन्हा के साथ बैठक और प्रेस कांफ्रेंस में सपा के सहयोगी के तौर पर राष्ट्रीय लोक दल ही खड़ी दिखी। सुभासपा वहां नदारद थी। शिवपाल भी कार्यक्रम में नहीं पहुंचे थे।
ऐसे में यूपी से सपा समर्थित उम्मीदवार को कांग्रेस के एक और सपा के तीन यानी कुल 4 सांसदों का समर्थन मिलता दिख रहा है। वहीं, सपा के 110 विधायक, रालोद के 8 विधायक और कांग्रेस के 2 विधायक यानी कुल 120 विधायकों का वोट यशवंत सिन्हा के पक्ष में जा सकता है।
सपा को लगा है जोर का झटका
समाजवादी को एक बार फिर राष्ट्रपति चुनाव में जोर का झटका लगता दिख रहा है। वर्ष 2017 के राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को समर्थन देने को लेकर तब के सहयोगी कांग्रेस के साथ बात बिगड़ गई थी। अब अखिलेश यादव के अपने चाचा और सुभासपा साथ छोड़ते दिख रहे हैं। पिछले दिनों शिवपाल ने कहा था कि हम जिसे वोट देंगे, वही राष्ट्रपति बनेगा। इसके बाद से ही लगने लगा था कि वे एनडीए उम्मीदवार के पक्ष में जाने वाले हैं। शुक्रवार की शाम मुख्यमंत्री आवास पहुंच कर उन्होंने इस संशय से पर्दा हटा दिया।
लोकभवन में आयोजित कार्यक्रम में हुआ स्वागत
मुख्यमंत्री आवास में रात्रि भोज से पहले लोकभवन में आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में द्रौपदी मुर्मू का पहली बार यूपी आगमन पर जोरदार स्वागत हुआ। सीएम योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक के साथ-साथ तमाम सहयोगी दलों के नेताओं ने उनका स्वागत किया। अपना समर्थन उन्हें दिया। इस दौरान एनडीए के सहयोगी दल अपना दल एस और निषाद पार्टी के नेता भी नजर आए। कार्यक्रम के दौरान अमेठी की सांसद स्मृति ईरानी ने भी द्रौपदी मुर्मू का स्वागत किया।
राजभर का फैसला अखिलेश के लिए झटका
ओम प्रकाश राजभर ने ऐन राष्ट्रपति चुनाव से पहले जिस प्रकार से फैसला बदला है, उससे निश्चित तौर पर अखिलेश यादव को झटका लगेगा। हालांकि, पिछले दिनों एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान किसी के नाराज होने की स्थिति में कुछ भी न कर पाने की बात कर बड़ा संकेत दे दिया था। यह संकेत राजभर को न मनाए जाने को लेकर माना गया। ऐसे में राजभर ने अपनी चाल बदलकर अखिलेश को हैरान कर दिया है। मुख्यमंत्री आवास पहुंचे राजभर और शिवपाल ने द्रौपदी मुर्मू को समर्थन का भरोसा दिलाया। एनडीए उम्मीदवार से मुलाकात के बाद राजभर और शिवपाल सीएम आवास के दूसरे गेट से बाहर निकले।
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