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ताजनगरी में ऐसे भी डॉक्टर हैं, जो इलाज करने के साथ सेवा के माध्यम से भी मरीजों का दर्द कम कर रहे हैं। जब गंभीर मरीज के परिजन रक्त की व्यवस्था नहीं कर पाते तो डॉक्टर खुद रक्तदान के लिए तैयार हो जाते हैं। कोरोना काल में मरीजों की जान बचाने के लिए डॉक्टर ने प्लाज्मा दान किया। आर्थिक रूप से भी सहायता प्रदान कर रहे हैं। जरूरतमंदों की मदद के लिए जागरूकता फैला रहे हैं।
प्लाज्मा दान करने वाले पहले व्यक्ति
सैंया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) पर तैनात डॉ. रविंद्र कुमार सिंह अप्रैल, 2020 में कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए थे। स्वस्थ हुए तो ड्यूटी पर पहुंच गए। संक्रमितों के इलाज के लिए प्लाज्मा की जरूरत पड़ी। उन्होंने आगरा में सबसे पहले प्लाज्मा दान किया। कुल तीन बार प्लाज्मा दान कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान लोगों में प्लाज्मा दान के लिए झिझक थी। उनको प्रेरित करना जरूरी था। उन्होंने समाज में जागरूकता भी फैलाई।
12 वर्ष में 35 बार रक्तदान किया
एसएन मेडिकल कॉलेज के हड्डी रोग विभाग के डॉक्टर करुणा शंकर दिनकर ने 12 वर्ष में 35 बार रक्तदान किया है। उन्होंने बताया कि मरीजों के ऑपरेशन के वक्त कई बार परिजन भी रक्तदान करने से बचते हैं, बहानेबाजी करते हैं। कहीं से इंतजाम नहीं हो पाता तो ऑपरेशन के लिए पहुंचे जरूरतमंदों के लिए वह रक्तदान करते हैं। उनके इस कदम से लोग रक्तदान के लिए प्रेरित भी हो रहे हैं।
वनवासियों के इलाज के लिए समर्पित
उजाला सिग्नस रेनबो हॉस्पिटल के डॉ. पंकज भाटिया वनवासियों की सेवा के लिए समर्पित रहते हैं। वर्ष 1987 में एमबीबीएस करने के बाद वह वनवासी कल्याण आश्रम से जुड़ गए। झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों में वर्ष 2004 तक सेवाएं दी। 500 से अधिक स्वास्थ्य शिविर लगाए और 4500 से अधिक ग्राम्य स्वास्थ्य कर्मचारी विकसित किए। अब भी वर्ष में तीन से चार बार शिविर करने आदिवासी क्षेत्रों में जाते हैं।
समाजसेवा के लिए मशहूर है डॉक्टरों की टीम
आगरा में चिकित्सकों का ऐसा दल है जो समाजसेवा के लिए मशहूर है। इस दल में हैं सर्जन डॉ. सुनील शर्मा, डॉ. ज्ञान प्रकाश, हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. मनीष शर्मा, फिजिशियन डॉ. रमेश धमीजा, डॉ. बीके अग्रवाल, बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अरुण जैन, डॉ. विजय कात्याल, हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. रवि सभरवाल, न्यूरो फिजिशियन डॉ. विनय अग्रवाल हैं। ये चिकित्सक आगरा विकास मंच से जुड़े हैं। लावारिस, वृद्ध जन और गरीब मरीजों के ऑपरेशन और इलाज निशुल्क करते हैं।
डॉक्टरों की कमी, इलाज हो रहा प्रभावित
स्वास्थ्य विभाग के सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों की कमी है, इससे देहात क्षेत्रों में चिकित्सा सेवा प्रभावित हो रही है। स्वास्थ्य विभाग में 142 चिकित्सक तैनात हैं, जबकि चिकित्सकों के 234 पद हैं। लंबे समय से 92 चिकित्सकों की कमी चली आ रही है।
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ताजनगरी में ऐसे भी डॉक्टर हैं, जो इलाज करने के साथ सेवा के माध्यम से भी मरीजों का दर्द कम कर रहे हैं। जब गंभीर मरीज के परिजन रक्त की व्यवस्था नहीं कर पाते तो डॉक्टर खुद रक्तदान के लिए तैयार हो जाते हैं। कोरोना काल में मरीजों की जान बचाने के लिए डॉक्टर ने प्लाज्मा दान किया। आर्थिक रूप से भी सहायता प्रदान कर रहे हैं। जरूरतमंदों की मदद के लिए जागरूकता फैला रहे हैं।
प्लाज्मा दान करने वाले पहले व्यक्ति
सैंया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) पर तैनात डॉ. रविंद्र कुमार सिंह अप्रैल, 2020 में कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए थे। स्वस्थ हुए तो ड्यूटी पर पहुंच गए। संक्रमितों के इलाज के लिए प्लाज्मा की जरूरत पड़ी। उन्होंने आगरा में सबसे पहले प्लाज्मा दान किया। कुल तीन बार प्लाज्मा दान कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान लोगों में प्लाज्मा दान के लिए झिझक थी। उनको प्रेरित करना जरूरी था। उन्होंने समाज में जागरूकता भी फैलाई।
12 वर्ष में 35 बार रक्तदान किया
एसएन मेडिकल कॉलेज के हड्डी रोग विभाग के डॉक्टर करुणा शंकर दिनकर ने 12 वर्ष में 35 बार रक्तदान किया है। उन्होंने बताया कि मरीजों के ऑपरेशन के वक्त कई बार परिजन भी रक्तदान करने से बचते हैं, बहानेबाजी करते हैं। कहीं से इंतजाम नहीं हो पाता तो ऑपरेशन के लिए पहुंचे जरूरतमंदों के लिए वह रक्तदान करते हैं। उनके इस कदम से लोग रक्तदान के लिए प्रेरित भी हो रहे हैं।
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