लखनऊ: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने वर्ष 1988 में मशहूर बैडमिंटन खिलाड़ी सैयद मोदी की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे भगवती सिंह उर्फ पप्पू की सजा को बरकरार रखा है। पीठ ने कहा कि इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि पप्पू और एक अन्य अभियुक्त ने गोलीबारी करके सैयद मोदी की हत्या की थी।
न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति सरोज यादव की अवकाशकालीन पीठ ने पप्पू द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई करने के बाद पिछली 21 मार्च को अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। लखनऊ की अपर जिला अदालत ने 22 अगस्त 2009 को पप्पू को सैयद मोदी हत्याकांड मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई थी। पप्पू इस वक्त जेल में है। पीठ ने अपने आदेश में कहा कि उपलब्ध सबूत यह जाहिर करते हैं कि मारे गए सह अभियुक्त बलाई सिंह ने एक स्वतंत्र गवाह की मौजूदगी में इकबालिया बयान दिया था कि सैयद मोदी की हत्या में इस्तेमाल की गई पिस्टल और कारतूस उसे पप्पू ने ही दिए थे।
सैयद मोदी की 28 जुलाई 1988 को कार सवार दो हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। सीबीआई ने इस मामले की जांच के बाद तत्कालीन कांग्रेस सांसद संजय सिंह, अमिता कुलकर्णी मोदी, अखिलेश सिंह, बलाई सिंह, अमर बहादुर सिंह, जितेंद्र सिंह उर्फ टिंकू और भगवती सिंह उर्फ पप्पू के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। सत्र अदालत ने संजय सिंह और अमिता को इस मामले में क्लीन चिट दे दी थी। निचली अदालत के इस फैसले को उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय ने भी बरकरार रखा था। इसी तरह उच्च न्यायालय ने अखिलेश सिंह नामक अभियुक्त पर लगे आरोपों को भी खारिज कर दिया था। दो अन्य अभियुक्तों बलाई सिंह और अमर बहादुर सिंह की मुकदमे की सुनवाई के दौरान हत्या कर दी गई थी।
बाद में इस मामले में पप्पू की तरफ से दलील दी गई थी कि मुख्य अभियुक्त संजय सिंह और अमिता मोदी को मामले में दोषमुक्त कर दिया गया। इसलिए उसके खिलाफ सैयद मोदी की हत्या करने की और कोई वजह बाकी नहीं रही, लिहाजा उसे भी दोषमुक्त करार दिया जाना चाहिए। इस बात को ध्यान में रखते हुए कि पप्पू को पहचानने वाला एक प्रत्यक्ष गवाह मौजूद है। पीठ ने कहा कि वारदात करने का मकसद अपना महत्व खो देता है, क्योंकि कोई भी नहीं जानता कि किसी अपराधी के मन में अपराध करने का कौन सा उद्देश्य मौजूद है।
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