विशाल वर्मा, जालौन: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 21 से 24 जून के बीच राज्य स्तरीय पैरा बैडमिंटन प्रतियोगिता का आयोजन हुआ, जिसमें जालौन की रहने वाली दिव्यांग छात्रा स्वाति सिंह ने सिंगल मुकाबले में गोल्ड और डबल्स में सिल्वर मेडल जीतकर जिले का नाम रोशन किया। फिलहाल स्वाति सिंह का चयन नेशनल टूर्नामेंट के लिए हो गया है। स्वाति सिंह नेशनल टूर्नामेंट में गोल्ड मेडल हासिल कर देश का नाम रोशन करना चाहती हैं।
दरअसल, कोंच तहसील के ग्राम अमीटा की रहने वाली स्वाति सिंह दिव्यांग हैं, लेकिन फिर भी स्वाति ने इसको अपनी कमजोरी नहीं समझा और लगातार प्रैक्टिस करने के बाद जिले की तरफ से खेलकर लखनऊ में स्टेट लेवल पर गोल्ड और सिल्वर मेडल जीता। स्वाति का अगला कदम नेशनल है और उसमें चयन भी हो गया है। स्वाति का कहना है कि देश के लिए गोल्ड मेडल जीतकर वह नया कीर्तिमान स्थापित करना चाहती हैं।
बिना ट्रेनर के जीता गोल्ड, अब नेशनल बना टारगेट
“मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों में उड़ान होती हैं” इस बात को 21 वर्षीय स्वाति सिंह ने सच कर दिखाया है। पॉलीटेक्निक पास कर स्वाति ने इस वर्ष ग्रेजुशन में अपना एडमिशन लिया है और इस उम्र में ब्लड डोनेट कर वह कई लोगों की जिंदगियां बचा चुकी हैं। स्वाति ने बातचीत के दौरान बताया कि पिछले लॉकडाउन में बिना किसी ट्रेनर के प्रैक्टिस शुरू की और इंदिरा स्टेडियम उरई की तरफ से डिस्ट्रिक्ट जीतकर क्वालीफाई किया। इसके बाद लखनऊ के दिव्यांग विश्व विद्यालय में टूर्नामेंट में प्रतिभाग कर अपने प्रतिद्वंदी मिथलेश वर्मा को हारकर सिंगल में गोल्ड व डबल्स में सिल्वर मेडल जीता।
कहा- दिव्यांगता अभिशाप नहीं, इसे अपनी ताकत बनाएं युवा
शरीर में एक हाथ न होने के बाबजूद स्वाति अपने गांव से 30 किमी दूर अकेले रहकर शहर में पढ़ाई करती हैं और रोजमर्रा के काम के साथ खेल की दुनिया में अपना परचम लहरा रही हैं। स्वाति का कहना है कि अगर उसे अच्छी ट्रेनिग मिले तो एक दिन वह ओलंपिक में देश को रिप्रेजेंट कर सकती है। स्वाति का कहना है कि दिव्यांग होना कोई अभिशाप नहीं, बल्कि आपके भीतर जो प्रतिभा है, उसे दुनिया के सामने लाओ और खुद को मजबूत साबित करो। स्वाति के मुताबिक, उनका यह सफर डिस्ट्रिक्ट लेवल से शुरू हुआ और फिर स्टेट टूर्नामेंट में खेलकर गोल्ड हासिल किया।
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