संदीप तिवारी, लखनऊ: उत्तर प्रदेश में विधान परिषद चुनाव की अपनी एक अलग ही लोकप्रियता है। यह चुनाव यूपी में बेहद खास माना जाता है। यही वजह है कि एमएलसी बनने की होड़ मची रहती है। इसके पीछे कहीं न कहीं एमएलसी पद के साथ मिलने वाली सुख सुविधाओं को भी माना जाता है। मासिक वेतन से लेकर कई तरह के भत्तों का लाभ भी MLC को दिया जाता है। इसके साथ ही मुफ्त बिजली का भी लाभ मिलता है। वहीं कार्यकाल खत्म होने के बाद पेंशन का लाभ भी मिलता है। इसमें बिना लड़े ही अपनी योग्यता के दम पर सदन में जाने का मौका मिलता है। वहीं, वरुण गांधी ने एक ट्वीट किया, जिसमें लिखा कि अल्पावधि की सेवा करने वाले अग्निवीर पेंशन के हकदार नही हैं तो जनप्रतिनिधियों को यह ‘सहूलियत’ क्यूं? राष्ट्ररक्षकों को पेन्शन का अधिकार नहीं है तो मैं भी खुद की पेन्शन छोड़ने को तैयार हूं। क्या हम विधायक और सांसद अपनी पेन्शन छोड़ यह नही सुनिश्चित कर सकते कि अग्निवीरों को पेंशन मिले?
राज्य के बाहर MLC को मिलती हैं ये सुविधाएं
एमएलसी चुने गए व्यक्ति का मासिक वेतन करीब 40 हजार रुपये होता है। वहीं, उसे क्षेत्रीय भत्ते के नाम पर 50 हजार रुपये प्रतिमाह सरकार की ओर से मिलते हैं। चुने गए एमएलसी पर सरकार 10 हजार रुपये प्रतिमाह स्टेशनरी पर खर्च करती है। यात्रा भत्ता के नाम पर 20 रुपये प्रति किलोमीटर राज्य के अंदर और 25 रुपये प्रति किलोमीटर राज्य के बाहर का मिलता है।
10 साल बाद मिलती है 43 हजार रुपये पेंशन
विधान परिषद सदस्य चुने गए व्यक्ति को राज्य के अंदर दैनिक भत्ता 2000 प्रतिदिन के हिसाब से और राज्य से बाहर के लिए 25 हजार रुपये प्रतिदिन के हिसाब से मिलता है। 2000 यूनिट बिजली की प्रतिमाह मुफ्त मिलती है। इसके साथ ही एमएलसी चुनकर आए व्यक्ति को 3 लाख रुपये (चार सह यात्रियों के साथ) के हवाई जहाज या रेलवे कूपन मिलते हैं। घर के फोन और मोबाइल समेत कुल 1 लाख रुपये प्राप्त होते हैं। वहीं, कार्यकाल खत्म होने के बाद पहले साल 25 हजार रुपये पेंशन दी जाती है। इसके बाद पांच साल पूरे होने पर 33 हजार और कार्यकाल खत्म होने के 10 साल बाद 43 हजार रुपए मिलते हैं।
संख्या बल का शुरू हुआ खेल- वरिष्ठ पत्रकार
वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानेद्र शुक्ला ने बताया कि अभी तक विधान परिषद सदस्य के लिए प्रत्याशी उन्हें बनाया जाता था, जो चुनाव नहीं लड़ना चाहते हों, लेकिन अपने अनुभवों से सदन में मजबूती के साथ समाज की समस्याओं को रख सके, इसलिए उनको एमएलसी चुनाव में मौका दिया जाता था। वहीं, वर्तमान में संख्या बल का खेल शुरू हो गया है। इसीलिए सत्ता धारी पार्टी अपने लोगों को आगे बढ़ाने और उन्हें अर्जेस्ट करने के लिए मौका दे देती है।
13 एमएलसी हुए थे निर्वाचित
बता दें कि बीते दिनों यूपी में विधान परिषद की 13 सीटों पर बीजेपी के नौ और सपा के चार प्रत्याशी निर्विरोध निर्वाचित हुए थे। इसमें योगी सरकार के सात मंत्री भी शामिल हैं। डेप्युटी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, मंत्री भूपेन्द्र चौधरी, राज्यमंत्री दयाशंकर मिश्र दयालु, मंत्री जयेन्द्र प्रताप सिंह राठौर, मंत्री नरेन्द्र कुमार कश्यप, राज्यमंत्री जसवंत सैनी और राज्यमंत्री मो. दानिश आजाद इनके अलावा कन्नौज से बीजेपी के पूर्व विधायक बनवारी लाल दोहरे और बीजेपी के मुकेश शर्मा भी एमएलसी निर्वाचित हुए। वहीं, समाजवादी पार्टी से स्वामी प्रसाद मौर्य, मुकुल यादव, मो. शहनवाज खान और मो. जासमीर अंसारी एमएलसी बने हैं।
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