घड़ियालों के बाद चंबल सेंक्चुरी की बाह रेंज में मगरमच्छों की हैचिंग शुरू हो गई है। गुरुवार को बाह के नंदगवां और विप्रावली घाट के एक-एक नेस्ट में मगरमच्छ के बच्चों का जन्म हुआ। हैचिंग में जन्मे 48 मगरमच्छ शिशु चंबल नदी के कुनबे में शामिल हो गए हैं।
पिछले साल हैचिंग में मगरमच्छ के 481 बच्चों का जन्म हुआ था। अप्रैल-मई में घड़ियालों के साथ ही मगरमच्छों की नेस्टिंग हुई थी। सुरक्षा के लिए वन विभाग ने जाली लगाई थी। हैचिंग पीरियड शुरू होते ही जाली को हटा दिया गया था। हैचिंग में जन्मे मगरमच्छ शिशु बालू पर सरकते हुए चंबल नदी में पहुंचे। रेंजर आरके सिंह राठौड़ ने बताया कि चंबल नदी के नंदगवां और विप्रावली घाट पर मगरमच्छ की हैचिंग हुई है। नन्हे मेहमानों की निगरानी की जा रही है।
साल दर साल बढ़ रहे मगरमच्छ
चंबल नदी में मगरमच्छ का कुनबा भी घड़ियालों की तरह तेजी से बढ़ रहा है। वार्षिक गणना रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2016 में 454, वर्ष 2017 में 562, वर्ष 2018 में 613, वर्ष 2019 में 706, वर्ष 2020 में 710, वर्ष 2021 में 882 मगरमच्छ चंबल नदी में मिले थे।
घड़ियालों के कुनबे में शामिल हो चुके हैं 2800 शिशु
मगरमच्छ से पहले घड़ियालों की हैचिंग हुई थी। रेंज में करीब 2800 घड़ियालों का जन्म हुआ था। आमतौर पर पांच प्रतिशत शिशु ही जीवित बचते हैं। वन विभाग इनका सर्वाइवल बढ़ाने की कवायद में जुटा है।
आगरा के बाह क्षेत्र तक फैले चंबल क्षेत्र में प्रकृति अद्भुत छटा देखने को मिलती है। साफ-सुथरी चंबल नदी में लुप्तप्राय: जलीय जीवों का ठिकाना है। इसका स्वच्छ पानी घड़ियाल, मगरमच्छ, डाल्फिन, कछुओं के लिए संजीवनी का काम कर रहा है।
दुनिया में लुप्त प्राय स्थिति में पहुंचे घड़ियालों के लिए चंबल नदी संजीवनी बनी है। यहां घड़ियालों का संरक्षण वर्ष 1979 से हो रहा है। अब चंबल नदी में मगरमच्छों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है।
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