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आगरा के अमरपुरा और कमला नगर सहित कई इलाकों में भूगर्भ जलस्तर एक वर्ष में 10 फीट (करीब तीन मीटर) तक गिर गया है। शहर में एक साल से पांच लाख लोगों को सिकंदरा वाटरवर्क्स से और तीन लाख लोगों को जीवनीमंडी वाटरवर्क्स से गंगाजल की आपूर्ति हो रही है। फिर भी भूगर्भ जलस्तर में जबरदस्त गिरावट विशेषज्ञों को चौंका रही है।
ताजनगरी में 55 फीसदी हिस्से में नल से जल की सुविधा नहीं है। पूर्व में यमुना के गंदे पानी की आपूर्ति के कारण भूगर्भ जल ही इस्तेमाल हो रहा था, पर एक साल से गंगा नदी का पानी बुलंदशहर के पालड़ा से सिकंदरा और जीवनीमंडी वाटरवर्क्स को मिल रहा है। इससे 45 फीसदी आबादी तक गंगाजल पहुंच रहा है।
इसके बाद भी भूगर्भ जलस्तर के गिरते हुए आंकड़े चौंका रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि रेन वाटर हार्वेस्टिंग न होने से भूगर्भ जल स्तर में गिरावट हो रही है। शहर में तालाबों को भी नहीं सहेजा गया, जबकि देहात में तालाबों की सफाई, नए तालाब बनाने का असर जलस्तर पर दिखा है।
ये है साल दर साल गिरावट
जगह
2017
2018
2019
2020
2021
अमरपुरा
30.09
30.8
40.9
43.3
46.03
कमला नगर
38.6
40.6
38.2
39.9
42.9
तोरा, फतेहाबाद रोड
30.7
31.85
32.4
33.05
33.85
छलेसर प्रा. स्कूल
29.15
30.12
33.4
35.5
36.7
कंकरपुरा स्कूल
9.50
10.25
11.25
11.38
12.40
नुनिहाई उद्योग केंद्र
15.45
17.04
16.1
17.0
18.05
भूगर्भ जल विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, सभी आंकड़े मीटर में हैं
दोबारा करा रहे सबमर्सिबल पंप की बोरिंग
एक साल में भूगर्भ जलस्तर 10 फीट तक और 5 साल में 16 मीटर तक यानी 50 फीट तक गिरावट होने से लोगों को दोबारा बोरिंग करानी पड़ रही है। जिन्होंने एक-दो साल में बोरिंग कराई, वह पानी का पाइप 10 से 20 फीट तक बढ़ा रहे हैं, वहीं पांच साल से ज्यादा पुरानी बोरिंग फेल हो गई हैं। अमरपुरा जैसे क्षेत्रों में पानी का स्तर पांच वर्षों में 50 फीट नीचे चला गया।
अमरपुरा क्षेत्र के नजदीक आजमपाड़ा, बालाजीपुरम, अलबतिया, विनय नगर, श्याम नगर, मारुति एस्टेट और कमला नगर, अमर विहार, फतेहाबाद रोड की कॉलोनियों, शास्त्रीपुरम, शहीद नगर, नाई की सराय, कालिंदी विहार में बोरिंग फेल हो रही हैं। इस वजह से लोगों को पानी के लिए नई बोरिंग करानी पड़ रही हैं। नई बोरिंग 300 से 350 फीट गहराई में हो रही हैं, जिनके लिए 2 से 3 किलोवाट क्षमता की 12 स्टेज सबमर्सिबल पंप लगानी पड़ रही है। इससे उनकी जेब पर खर्च भी बढ़ा है।
मनमाने दोहन से घटा जलस्तर
भूगर्भ जल विज्ञानी नम्रता जायसवाल ने बताया कि भूगर्भ जल का मनमाने ढंग से दोहन होने से स्तर नीचे चला गया है। देहात में कई जगह तालाबों की खोदाई का अच्छा असर दिखा है, पर शहर में जगह-जगह आरओ प्लांट और अन्य वजहों से पानी का दोहन हो रहा है, जबकि री-चार्ज नहीं हो पा रहा। अब बारिश से पहले लोग रेन वाटर हार्वेस्टिंग कराएं तो मानसून में हर घर से लाखों लीटर पानी पाताल में जा सकता है।
रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए सही समय
टीटीजेड के सदस्य उमेश शर्मा ने कहा कि यह एकदम सही समय है, जब बिल्डर, आम लोग, व्यवसायिक इमारतों वाले और सरकारी ऑफिस रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए काम करा लें। इन 15 दिनों में जो काम कर लेंगे, उससे पूरे मानसून भूगर्भ जलस्तर में बारिश का पानी पहुंचकर री-चार्ज करता रहेगा।
आरओ प्लांट से कराएं नियमों का पालन
हमारा आगरा के एक्टिविस्ट ओम शर्मा ने कहा कि आरओ प्लांट वाले भूगर्भ जल निकाल रहे हैं, पर रीचार्ज नहीं कर रहे। हर गली में चार-पांच आरओ प्लांट खुले हैं, इन पर कोई लगाम नहीं कसी जा रही। जो सरकारी नियम हैं, उसका तो पालन कराया जाए ताकि हर साल सबमर्सिबल पंप के लिए बोरिंग न करानी पड़े।
विस्तार
आगरा के अमरपुरा और कमला नगर सहित कई इलाकों में भूगर्भ जलस्तर एक वर्ष में 10 फीट (करीब तीन मीटर) तक गिर गया है। शहर में एक साल से पांच लाख लोगों को सिकंदरा वाटरवर्क्स से और तीन लाख लोगों को जीवनीमंडी वाटरवर्क्स से गंगाजल की आपूर्ति हो रही है। फिर भी भूगर्भ जलस्तर में जबरदस्त गिरावट विशेषज्ञों को चौंका रही है।
ताजनगरी में 55 फीसदी हिस्से में नल से जल की सुविधा नहीं है। पूर्व में यमुना के गंदे पानी की आपूर्ति के कारण भूगर्भ जल ही इस्तेमाल हो रहा था, पर एक साल से गंगा नदी का पानी बुलंदशहर के पालड़ा से सिकंदरा और जीवनीमंडी वाटरवर्क्स को मिल रहा है। इससे 45 फीसदी आबादी तक गंगाजल पहुंच रहा है।
इसके बाद भी भूगर्भ जलस्तर के गिरते हुए आंकड़े चौंका रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि रेन वाटर हार्वेस्टिंग न होने से भूगर्भ जल स्तर में गिरावट हो रही है। शहर में तालाबों को भी नहीं सहेजा गया, जबकि देहात में तालाबों की सफाई, नए तालाब बनाने का असर जलस्तर पर दिखा है।
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