सुमित शर्मा, कानपुर: कानपुर हिंसा (Kanpur Violence) के बाद से पुलिस की कार्रवाई एक तरफ जारी है। अब तक हिंसा के आरोपी 54 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। 40 लोगों के पोस्टर पुलिस ने कानपुर (Kanpur) में चिपका दिए गए हैं। पुलिस प्रशासन की ओर से हिंसा और तोड़फोड़ करने वालों पर कार्रवाई जारी है। दूसरी तरफ, एक वर्ग इस हिंसा मामले की आड़ में आपसी भाइचारा को बिगाड़ने की कोशिश कर रहा है। दरअसल, बुधवार को एक मामला सामने आया है, जिसके तहत कहा गया है कि कानपुर हिंसा मामले में सोशल मीडिया पर एक वर्ग विशेष की दुकानों से सामान न खरीदने की अपील की जा रही है। मुस्लिम समाज (Muslim Community) के लोगों से इस प्रकार की अपील की जा रही है। इस मामले के सामने आने के बाद हंगामा बढ़ गया है। इस मामले में समाजवादी पार्टी के पूर्व नेता का नाम सामने आ रहा है। उसने हिंदुओं की दुकान से मुस्लिम समुदाय के लोगों से सामान न खरीदने की अपील की है।
कानपुर हिंसा के बाद से लगाातर एक वर्ग इस पूरे मामले को हवा देने की कोशिश में जुटा हुआ है। इसमें ताजा मामला पूर्व सपा नेता और कानपुर हिंसा में आरोपी निजाम कुरैशी से जुड़ा हुआ है। कुरैशी पर 3 जून को हुए हिंसा में भी शामिल होने का आरोप लगा है। नाजिम स्थानीय स्तर पर एक संगठन चलाता है। उसका व्हाट्सएप ग्रुप भी है। इस ग्रुप पर निजाम ने हिंदू दुकानदारों से मुस्लिम समाज के लोगों को सामान न खरीदने की अपील की है। मामला सामने आने के बाद पुलिस की जांच का दायरा और बढ़ सकता है। साथ ही, उसके खिलाफ शिकंजा कसने की भी तैयारी है।
सपा के तीनों विधायक हैं एडमिन
कानपुर से समाजवादी पार्टी के तीनों विधायक निजाम कुरैशी के ग्रुप के एडमिन हैं। निजाम को कुछ समय पहले पार्टी से निकाला गया है। उसके चैटिंग का स्क्रीनशॉट सामने आया है। उसमें वह नुपुर शर्मा विवाद के सामने आने के बाद लोगों से हिंदू दुकानदारों से सामान न खरीदने की अपील करता दिख रहा है। अपनी अपील में निजाम ने लिखा है कि मुस्लिम समाज के लोग दयाराम स्वीट्स नमकीन हाउस, बंसीलाल जनरल स्टोर, गुप्ता की घास वाले, गुप्ता जी कूलर वाले, सुमित फल वाले और अन्य हिंदू दुकानदारों से सामान न खरीदें। ये सभी दुकानें नई सड़क पर सद्भावना चौकी के करीब हैं। संयुक्त पुलिस आयुक्त आनंद प्रकाश तिवारी ने इस मामले में कहा है कि मामला सामने आया है। इस पर कार्रवाई होगी।
सपा विधायकों की चुप्पी पर उठे सवाल
व्हाट्सएप्प ग्रुप के एडमिन तीनों विधायकों की इस मामले में चुप्पी ने सवाल खड़े कर दिए हैं। ग्रुप में खुलेआम समाज को दो वर्गों में बांटने की कोशिश की जा रही है। इसके बाद भी विधायकों की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। ग्रुप एडमिन की ओर से पोस्ट पर संज्ञान नहीं लिया गया। बाद में विवाद बढ़ा तो सपा विधायकों ने इस ग्रुप को छोड़ दिया। सपा विधायकों से सवाल किया जा रहा है कि हिंसा के प्रति वे अपना रुख उदासीन क्यों रखे हुए हैं। इस ग्रुप में सपा के नगर अध्यक्ष डॉ. इमरान भी एडमिन थे। कानपुर हिंसा मामले के बाद से तीनों विधायकों और नगर अध्यक्ष की चुप्पी और उनके लापता होने पर अब हर तरफ से सवाल किया जा रहा है।
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