गोवर्धनमठ पुरी के पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने कहा है कि मुगलकाल के कुछ शासकों ने हिंदुओं के मंदिरों को भारी नुकसान पहुंचाया, ऐसे में मुस्लिम समाज को अपने पूर्वजों की गलतियों को मानकर मानवता का परिचय देना चाहिए। शंकराचार्य ने यह बात रविवार को झूंसी के शिव गंगा आश्रम में पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में कही। पुरी शंकराचार्य अपने सात दिवसीय प्रवास पर झूंसी के शिव गंगा आश्रम आए हैं। यहां पर वह ग्यारह जून तक प्रवास करेंगे।
शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि मानवाधिकार की सीमा में रहकर हिंदुओं को न्याय का अधिकार प्राप्त है। उन्होंने कहा कि सभी धर्मों की उपज सनातन धर्म से ही हुई है। पैगंबर मोहम्मद साहब हों या फिर ईसा मसीह, दोनों ने सनातन धर्म का पूरा आदर बनाए रखा। लेकिन भारत जब परतंत्र हुआ तो मानवाधिकार को कुचलकर कुछ आक्रांताओं ने मंदिर तोड़कर मस्जिदें बना दीं। इसमें काशी, मथुरा और अयोध्या प्रमुख हैं।
अयोध्या की तरह काशी और मथुरा का भी होगा निर्णय
उन्होंने उम्मीद जताई कि अयोध्या की भांति ही काशी और मथुरा का भी निर्णय होगा। शंकराचार्य ने कहा कि तकरीबन ढाई दशक पहले नरसिंह राव के शासनकाल में रामालाय ट्रस्ट बना था। तब उनके समक्ष उस पर हस्ताक्षर करने का प्रस्ताव आया था। इसके तहत श्रीराम मंदिर के अगल-बगल या फिर आमने-सामने मस्जिद भी बननी थी। इस पर कई धर्माचार्य सहमत हो गए थे। लेकिन मैंने उस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर नहीं किए, परिणामस्वरूप मस्जिद नहीं बन सकी।
कश्मीर में बाहरी हिंदुओं को भी बसाया जाए
जम्मू-कश्मीर में हो रही टारगेट किलिंग के सवाल पर पुरी शंकराचार्य ने कहा कि कश्मीर भारत का अविभाज्य अंग है। इसे भारत से कोई अलग नहीं कर सकता है। कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए बाहरी हिंदुओं को वहां बसाए जाने की जरूरत है। इसके साथ ही सेवानिवृत्त ईमानदार पुलिस अफसर, फौजी और प्रशासकों को भी कश्मीर में बसाया जाना चाहिए। तभी कश्मीरी पंडितों में सुरक्षा भी भावना आएगी। भारत के हिंदू राष्ट्र होने के सवाल पर कहा कि ज्यादा से ज्यादा साढ़े तीन वर्षों में भारत हिंदू राष्ट्र बन जाएगा।
गोवर्धनमठ पुरी के पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने कहा है कि मुगलकाल के कुछ शासकों ने हिंदुओं के मंदिरों को भारी नुकसान पहुंचाया, ऐसे में मुस्लिम समाज को अपने पूर्वजों की गलतियों को मानकर मानवता का परिचय देना चाहिए। शंकराचार्य ने यह बात रविवार को झूंसी के शिव गंगा आश्रम में पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में कही। पुरी शंकराचार्य अपने सात दिवसीय प्रवास पर झूंसी के शिव गंगा आश्रम आए हैं। यहां पर वह ग्यारह जून तक प्रवास करेंगे।
शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि मानवाधिकार की सीमा में रहकर हिंदुओं को न्याय का अधिकार प्राप्त है। उन्होंने कहा कि सभी धर्मों की उपज सनातन धर्म से ही हुई है। पैगंबर मोहम्मद साहब हों या फिर ईसा मसीह, दोनों ने सनातन धर्म का पूरा आदर बनाए रखा। लेकिन भारत जब परतंत्र हुआ तो मानवाधिकार को कुचलकर कुछ आक्रांताओं ने मंदिर तोड़कर मस्जिदें बना दीं। इसमें काशी, मथुरा और अयोध्या प्रमुख हैं।
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