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बीते एक दशक में सर्दी में आगरा का औसत तापमान एक डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है। यह खुलासा हुआ है बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डेवलपमेंट सोसायटी के अध्ययन में, जिसमें सर्दियों में आगरा का औसत तापमान 11 से बढ़कर 12 डिग्री सेल्सियस बताया गया है। शहर के पर्यावरण में आए बदलाव पर सोसायटी ने दस साल के तापमान का अध्ययन किया है।
बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डेवलपमेंट सोसाइटी अध्यक्ष डॉ. केपी सिंह ने अपनी टीम के साथ किए गए अध्ययन में पाया है कि सर्दियों में वर्ष 2010 से 2014 में औसत तापमान 11 डिग्री सेल्सियस था जो कि 2016 से 2021-22 तक औसत तापमान 12 डिग्री सेल्सियस हो गया। सामान्य तौर पर यहां सर्दियों का न्यूनतम तापमान तीन डिग्री रहता था जो अब छह डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड हो रहा है। सोसायटी गर्मियों के आंकड़ों का अध्ययन भी कर रही है।
तापमान वृद्धि से जैव विविधता व कृषि उत्पादन प्रभावित होगा
डॉ. केपी सिंह ने बताया कि सर्दियों के तापमान में एक डिग्री सेल्सियस की वृद्धि एक गंभीर संकेत है। धरती की सतह अपेक्षाकृत अधिक गर्म रहती है, इसका प्रभाव परिस्थिति तंत्र पर पड़ेगा। इससे जैव विविधता और कृषि उत्पादन प्रभावित होगा। तापमान बढ़ने से धरती की सतह पर पनपने वाले कीड़े और सतह के छह इंच अंदर तक रहने वाले सभी जीव प्रभावित होंगे। कृषि भूमि में रासायनिक उर्वरक के इस्तेमाल से पहले ही कीटों की प्रजातियां समाप्त हो रही हैं। कीट और कीड़े खाद्य शृंखला के तहत उत्पादक श्रेणी में आते हैं।
बारिश अच्छी फिर भी गिर रहा भूगर्भ जलस्तर
सोसायटी के अध्ययन में मानसून की बारिश भी शामिल रही, जिसमें पाया गया कि एक दशक में आगरा में बारिश तो बढ़ी है, लेकिन भूगर्भ जलस्तर गिर रहा है। वर्ष 2010 में 440.5 मिमी और वर्ष 2021 में 1626 मिमी औसत बारिश हुई है।
शहरी क्षेत्र में सबसे अधिक भूगर्भ जलस्तर में गिरावट अमरपुरा क्षेत्र में आई है, यहां जलस्तर में 2011 से 2020 तक 16.70 मीटर की गिरावट दर्ज की गई है। कमला नगर में 8.55 मीटर, छलेसर में 8.49 मीटर एवं तोरा व खंदारी में भी भूजल स्तर में गिरावट जारी है। औसतन आगरा के विभिन्न शहरी क्षेत्रों में 10 सेमी से लेकर एक मीटर तक की गिरावट आई है।
वनक्षेत्र की स्थिति निराशाजनक
सोसायटी ने आगरा के वनक्षेत्र का अध्ययन किया, जिसमें फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के मुताबिक वन क्षेत्र में कमी आई है। ताज ट्रिपेजियम जोन में वन क्षेत्र 33 फीसदी होना चाहिए, पर यहां महज 6.5 प्रतिशत ही वन क्षेत्र है, जबकि हर साल लाखों पौधों को लगाने का दावा किया जा रहा है।
राजस्व रिकॉर्ड से विपरीत है तालाबों की स्थिति
डॉ. केपी सिंह के मुताबिक जिले के तालाबों की वास्तविक स्थिति राजस्व रिकॉर्ड के विपरीत है। जिले में तालाब 3747 से घटकर 2825 ही रह गए हैं। बचे तालाबों का अतिक्रमण की वजह से क्षेत्रफल कम हुआ है।
विस्तार
बीते एक दशक में सर्दी में आगरा का औसत तापमान एक डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है। यह खुलासा हुआ है बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डेवलपमेंट सोसायटी के अध्ययन में, जिसमें सर्दियों में आगरा का औसत तापमान 11 से बढ़कर 12 डिग्री सेल्सियस बताया गया है। शहर के पर्यावरण में आए बदलाव पर सोसायटी ने दस साल के तापमान का अध्ययन किया है।
बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डेवलपमेंट सोसाइटी अध्यक्ष डॉ. केपी सिंह ने अपनी टीम के साथ किए गए अध्ययन में पाया है कि सर्दियों में वर्ष 2010 से 2014 में औसत तापमान 11 डिग्री सेल्सियस था जो कि 2016 से 2021-22 तक औसत तापमान 12 डिग्री सेल्सियस हो गया। सामान्य तौर पर यहां सर्दियों का न्यूनतम तापमान तीन डिग्री रहता था जो अब छह डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड हो रहा है। सोसायटी गर्मियों के आंकड़ों का अध्ययन भी कर रही है।
तापमान वृद्धि से जैव विविधता व कृषि उत्पादन प्रभावित होगा
डॉ. केपी सिंह ने बताया कि सर्दियों के तापमान में एक डिग्री सेल्सियस की वृद्धि एक गंभीर संकेत है। धरती की सतह अपेक्षाकृत अधिक गर्म रहती है, इसका प्रभाव परिस्थिति तंत्र पर पड़ेगा। इससे जैव विविधता और कृषि उत्पादन प्रभावित होगा। तापमान बढ़ने से धरती की सतह पर पनपने वाले कीड़े और सतह के छह इंच अंदर तक रहने वाले सभी जीव प्रभावित होंगे। कृषि भूमि में रासायनिक उर्वरक के इस्तेमाल से पहले ही कीटों की प्रजातियां समाप्त हो रही हैं। कीट और कीड़े खाद्य शृंखला के तहत उत्पादक श्रेणी में आते हैं।
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