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Rajyasabha Election 2022: उत्तर प्रदेश में राज्यसभा के लिए नहीं होगा चुनाव, जानिए क्या है वजह

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election) और फिर विधान परिषद (MLC Chunav) के चुनाव के बाद अब राज्यसभा चुनाव (Rajyasabha Election) की तैयारियां जोर शोर से चल रहीं हैं। वहीं अब ये तैयारियां बेकार हो गईं हैं, क्योंकि सभी का निर्विरोध निर्वाचन (Rajyasabha Election in UP) ही हो जाएगा। आइए हम आपको बताते हैं ऐसा कैसे होगा..

क्या कहता है गणित?
उत्तर प्रदेश में राज्यसभा के जिन 11 सांसदों का कार्यकाल पूरा हो रहा है, उनमें सबसे ज्यादा 5 बीजेपी के ही हैं। बाकी 3 सपा, 2 बसपा और 1 कांग्रेस के सांसद हैं। विधानसभा चुनाव के बाद 403 विधायकों वाली यूपी विधानसभा में सत्ताधारी बीजेपी गठबंधन के पास कुल मिलाकर 273 विधायक हैं। वहीं समाजवादी पार्टी गठबंधन के खाते में कुल 125 विधायक हैं। इसके अलावा कांग्रेस के पास 2, बसपा के पास एक और राजा भैया की जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) के पास 2 विधायक हैं।

1 सीट पर जीत के लिए कितने वोट होना जरूरी?
यूपी में राज्यसभा की एक सीट पर जीत के लिए 37 विधायकों का वोट जरूरी है। ऐसे में 11 में से 7 सीटों पर बीजेपी की जीत तय है। वहीं सपा गठबंधन भी 3 सीटें जीत लेगी। आखिरी एक सीट के लिए गुणा-गणित तेज होगा। अपने कोटे की जीत के बाद बीजेपी और सपा दोनों ही गठबंधन के पास 14-14 अतिरिक्त विधायक बचेंगे।

यूपी के खाते हमें सबसे ज्यादा सीट
राज्‍यसभा में हर राज्‍य का कोटा फिक्‍स है। इनमें से एक-तिहाई सीटों पर हर दो साल में चुनाव होते हैं। पूरे देश में सबसे अधिक 31 राज्यसभा सीटें उत्तर प्रदेश के कोटे में है। वहीं तमिलनाडु में 18, आंध्र प्रदेश में 18, महाराष्ट्र में 19, बिहार में 16, पश्चिम बंगाल में 16, कर्नाटक में 12, मध्य प्रदेश में 11, गुजरात में 11, राजस्थान में 10, ओडिशा में 10 राज्यसभा सीटें हैं। बात अगर उत्तर प्रदेश के पड़ोसी उत्तराखंड की करें तो यहां राज्यसभी की 3 सीटें हैं।

जानिए यूपी में क्यों नहीं होगा चुनाव?
दरअसल यूपी में राज्यसभा की 11 सीट पर 12 लोगों ने अपना नामांकन दाखिल किया है, लेकिन एक मौनी बाबा का पर्चा इसलिए खारिज हो जाएगा कि उनका कोई प्रस्तावक विधायक नहीं है और फिर 11 सीट पर 11 लोग ही बचेंगे। सभी को नाम वापसी के दिन शाम को जीत का सर्टिफिकेट दे दिया जाएगा।

प्रक्रिया भी जान लीजिए
जहां लोकसभा के लिए हर पांच साल में आम चुनाव होते हैं, वहीं राज्‍यसभा के लिए हर दो साल में चुनाव कराया जाता है। लोकसभा सांसद चुनने के लिए जनता सीधे वोट डालती है मगर राज्‍यसभा सांसद का चुनाव डायरेक्‍ट नहीं होता। जनता की ओर से चुने गए विधायक और इलेक्‍टोरल कॉलेज के जरिए राज्‍यसभा सदस्‍य चुने जाते हैं। संविधान के अनुसार राज्‍यसभा में अधिकतम 250 सदस्‍य हो सकते हैं, जिनमें से 238 का चुनाव होता है और बाकी 12 राष्‍ट्रपति की ओर से नामित किए जाते हैं। राज्‍यसभा के हर सदस्‍य का कार्यकाल 6 साल का होता है।

भाजपा नेतृत्व ने अग्रवाल के अलावा पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेयी, मौजूदा राज्यसभा सदस्य सुरेंद्र सिंह नागर, बाबूराम निषाद, दर्शना सिंह और संगीता यादव को भी राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार बनाया है। बाबूराम निषाद इस समय उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग वित्त विकास निगम के अध्यक्ष हैं। दर्शना सिंह भाजपा की महिला इकाई की प्रदेश अध्यक्ष रह चुकी हैं। अखिलेश यादव ने जयंत चौधरी को समाजवादी पार्टी और रालोद की ओर से राज्यसभा चुनाव के लिए संयुक्त प्रत्याशी बनाया है। इसके अलावा सपा के समर्थन से ही पूर्व कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल और जावेद अली खान पहले ही नामांकन पत्र दाखिल कर चुके हैं।

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