संघ लोक सेवा आयोग की ओर से हाल ही सिविल सेवा परीक्षा, 2021 का परिणाम घोषित कर दिया गया है। कुल 685 उम्मीदवारों ने इस साल सिविल सेवा परीक्षा को क्वालिफाई किया है। परीक्षा के परिणाम की घोषणा होते ही विभिन्न सफल अभ्यर्थियों की सफलता की कहानियां सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। परीक्षा में पहला स्थान प्राप्त करने वाली श्रुति शर्मा की चर्चाएं चारों ओर हैं। परीक्षा में टॉप करने वाले उम्मीदवारों की चर्चाएं तो बहुत हैं लेकिन परीक्षा में एक सफल उम्मीदवार ऐसा भी है जिसने नीचे से टॉप किया है। उत्तर प्रदेश के रिंकू राही ने यूपीएससी परीक्षा में 685 सफल उम्मीदवारों में 683वां स्थान प्राप्त किया है। हालांकि, उनकी कहानी इस वक्त परीक्षा के टॉपर्स से कहीं अधिक चर्चा में हैं। आखिर क्या है उनकी कहानी जो देश में इतनी चर्चा का विषय बनी हुई है। आइए जानते हैं-:
पीसीएस अधिकारी हैं रिंकू
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के डोरी नगर के रहने वाले रिंकू सिंह राही यूपी सरकार में समाज कल्याण अधिकारी हैं। उन्होंने साल 2004 में उत्तर प्रदेश पीसीएस परीक्षा में सफलता प्राप्त की थी। उनके पिता आटा चक्की चलाते हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने की वजह से रिंकू की पढ़ाई सरकारी स्कूल से ही हुई। इसके बाद स्कॉलरशिप पा कर उन्होंने टाटा इंस्टीट्यूट से बीटेक की पढ़ाई की और पीसीएस परीक्षा में सफलता पाई थी। हालांकि, नियुक्ति मिलने के बाद उनकी जिंदगी ने एक अहम मोड़ लिया, जिसने उन्हें यूपीएससी की तैयारी करने पर मजबूर कर दिया।
100 करोड़ का घोटाला उजागर किया
साल 2008 के करीब रिंकू की मुजफ्फरनगर जिले में समाज कल्याण अधिकारी के रूप में नियुक्ति की गई थी। काम करते हुए उन्होंने जिले में स्कॉलरशिप और फीस प्रतिपूर्ति के नाम पर चल रहे घोटाले का पता लगाया। उन्होंने इस मामले की जांच की और गबन के खिलाफ सबूत जमा किए। हालांकि, इस जांच के दौराम वह स्थानीय माफिया की नजरों में आ गए।
7 गोलियां मारी गई
100 करोड़ के घोटाले को उजागर करने के कारण रिंकू पर जानलेवा हमला किया गया। माफिया ने उन्हें 7 गोलियां मारी। इनमें से एक गोली उनके चेहरे पर भी लगी। इससे उनका चेहरा बुरी तरह बिगड़ गया। सरकारी आवासीय कॉलोनी में बैडमिंटन खेलते वक्त उन पर यह हमला हुआ था। मामले में कोर्ट ने 4 आरोपियों को 10-10 साल की सजा सुनाई थी।
आगे भी मुश्किलें कम नहीं हुई- पागलखाने भेजे गए
रिंकू राही पर जानलेवा हमला बसपा सरकार के दौरान हुआ था। वह महीनों तक इलाज और मुंह की सर्जरी करवाने के बाद ठीक हुए थे। साल 2012 में उन्होंने आरटीआई के तहत विभाग से सूचनाएं न मिलने पर लखनऊ निदेशालय के बाहर अनशन किया था। इस वक्त राज्य में सपा की सरकार थी। रिंकू को यहां से उठाकर लखनऊ के मेंटल हॉस्पिटल भेज दिया गया था। राही मानते हैं कि वह सिस्टम से नहीं बल्कि सिस्टम उनसे लड़ रहा था। चार महीने अस्पताल में रहने की चिकित्सा छुट्टी भी आज तक मंजूरी के लिए लंबित है।
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