लखनऊ: दिल्ली का सर गंगाराम अस्पताल (Sir Ganga Ram Hospital Delhi) इस समय उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की राजनीति का केंद्रबिंदु बन गया है। दरअसल, अस्पताल में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के विधायक आजम खान (Azam Khan) अपना इलाज करा रहे हैं। उनसे मिलने बुधवार को अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) पहुंचे। फरवरी 2020 से करीब 27 महीनों तक जेल में बंद रहे आजम खान सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिलने के बाद बाहर निकले हैं। जेल में बंद रहने के दौरान समाजवादी के किसी भी शीर्ष नेता ने उनसे मुलाकात नहीं की। इसको लेकर आजम खान की नाराजगी खुलकर सामने आई। वहीं, जेल से बाहर निकलने के दिन भी शिवपाल यादव जरूर उन्हें रिसीव करने गए, लेकिन समाजवादी पार्टी का जिला स्तर का नेता भी नहीं पहुंचा। ऐसे में अखिलेश यादव और आजम खान की इस मुलाकात को रिश्तों पर जमी बर्फ पिघलने के संकेत देती दिख रही है।
सीतापुर जेल में अखिलेश यादव, मुलायम सिंह यादव के मुलाकात तक नहीं करने आने को लेकर आजम खान संकेतों में हमलावर रहे हैं। आजम और अखिलेश के बीच दूरी सीतापुर से लेकर रामपुर तक देखी गई। दोनों नेताओं के बीच लखनऊ में भी मुलाकात नहीं हुई। जेल से निकलने के बाद आजम विधानसभा सदस्यता की शपथ लेने लखनऊ पहुंचे तो उन्होंने समाजवादी पार्टी के शीर्ष नेताओं से दूरी बनाए रखी। इससे अखिलेश और आजम के बीच दूरियां और बढ़ती दिखीं। लेकिन, कपिल सिब्बल को राज्यसभा उम्मीदवार बनाए जाने के बाद दोनों नेताओं बीच के रिश्तों पर जमी धूल अब छंटने लगी है। सर गंगा राम अस्पताल में न केवल दोनों नेताओं के बीच मुलाकात हुई, बल्कि बात भी हुई। आजम खान चार दिनों से अस्पताल में भर्ती हैं और ऐसे समय में अखिलेश का मुलाकात करने जाना प्रदेश की सियासत में अहम बदलाव की तरफ इशारा कर रहा है।
सिब्बल, फारूक ने बदला माहौल
कपिल सिब्बल को राज्यसभा का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद से ही माना जा रहा है कि अखिलेश यादव अब आजम खान को मनाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। 27 माह से जेल में बंद आजम को बाहर निकालने में कपिल सिब्बल की बड़ी भूमिका रही। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में आजम के पक्ष में पैरवी की। उनकी राज्यसभा उम्मीदवारी पर आजम ने काफी खुशी जाहिर की थी। इसके बाद अस्पताल में भर्ती आजम से जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला मुलाकात करने पहुंचे। इस मुलाकात के बाद आजम के तेवर में नरमी के संकेत मिले। अब अखिलेश यादव की मुलाकात के बाद माना जा रहा है कि इन दो बड़े नेताओं ने आजम को मनाने में बड़ी भूमिका निभाई।
आजम माने तो शिवपाल का भी बढ़ेगा कद
आजम खान अगर मान जाते हैं तो निश्चित तौर शिवपाल यादव का कद भी समाजवादी पार्टी में बढ़ेगा। दरअसल, शिवपाल यादव ने आजम खान का उस समय में साथ दिया, जब समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव उनसे दूरी बनाए हुए थे। ऐसे में अब अखिलेश को लोकसभा उप चुनाव में आजम खान की जरूरत है। उस समय में वे आजम के पास जा रहे हैं। आजम भी ऐसे में शिवपाल को लेकर भी बात कर सकते हैं। साथ ही, रामपुर लोकसभा सीट पर होने वाले उप चुनाव में उनके परिवार के सदस्य को चुनावी मैदान में उतारने पर भी अखिलेश यादव फैसला ले सकते हैं।
अभी जिंदा हूं के जरिए दिया बड़ा संदेश
आजम खान ने एक चैनल से बातचीत में पिछले दिनों अपनी पीड़ा इजहार किया। उन्होंने जेल की यादों को बताते हुए कहा कि एक समय ऐसा लगा, अब यही जिंदगी है। मेरे लिए किसी ने आवाज नहीं उठाई। आजम खान ने अखिलेश यादव के बारे में कहा कि उनको सलाह देने की न कभी हैसियत रही है और न ही अब दे सकता हूं। आजम खान ने कि अभी मेरा इरादा राजनीति छोड़ने का नहीं है। हिम्मत टूटने के मामले पर कहा कि मैं अगर जिंदा हूं तो जिंदा हूं।
जेल के दिनों को याद करते हुए आजम खान ने कहा कि कब्र से थोड़ा बड़ा कमरा था। हमें यह नहीं समझ आता कि हमसे लोगों को घृणा क्यों है? एक केस का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि मुझ पर मंत्री रहते हुए पत्नी और बेटे के साथ मिलकर शराब की दुकान लूटने का केस है। 16 हजार रुपये गल्ले से लूटा है। ऐसे मामलों से खुद पर शर्म आती है। राजभर के अखिलेश के एसी कमरे से बाहर निकलने के बयान पर आजम ने कहा कि वे अभी उनके साथ ज्यादा रह रहे हैं तो वे अपनी बात कह रहे हैं।
नाराजगी के मसले पर आजम खान ने कहा कि न तो मैं किसी से नाराज हूं और न ही निराश हूं। किसी से शिकवा-शिकायत करने की हैसियत मेरी नहीं है। हालांकि, आजम ने कहा कि मुझे पूरे देश में नंबर वन माफिया कहा गया और कहीं से कोई आवाज नहीं उठी। कपिल सिब्बल को राज्यसभा उम्मीदवार बनाए जाने पर आजम ने कहा कि उनके भी संबंध अच्छे हैं। मेरे मामले से पहले से उनके संबंध हैं। मेरी उनके राज्यसभा में भेजे की खुशी है। असदुद्दीन ओवैसी के भाई बताए जाने के सवाल पर आजम ने कहा कि उनसे अधिक संबंध नहीं रहा है। उन पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा, लेकिन भाई कहा है तो शुक्रिया अदा करूंगा।
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