गाजियाबाद : नोएडा में लगातार बच्चों के लापता होने के बाद मई 2006 में निठारी स्थित (Noida Nithari Case) कोठी नंबर डी-5 में नर कंकाल मिलने का मामला पूरे देश में चर्चा में आ गया था। कोर्ट के हालिया फैसले के बाद यह मामला एक बार फिर से चर्चा में है। इस बार चर्चा का केंद्र है इस केस में अपनी बेटी के लापता होने के बाद पहली एफआईआर दर्ज कराकर मामले का खुलासा करने वाला नंदलाल। उसे एसीजेएम कोर्ट ने अपने बयान से मुकरने का दोषी ठहराते हुए साढ़े 3 साल की कैद और 10 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। गौर करने वाली बात यह है कि नंदलाल ने ही सबसे पहले कोर्ट का सहारा लेकर अपनी बेटी की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इस मामले की जांच में ही कोठी नंबर डी-5 से कई बच्चों समेत अन्य लोगों के नर कंकाल मिले थे। जिसके बाद कोठी मालिक मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को गिरफ्तार किया गया था। दोनों अब तक कानून के शिकंजे में हैं। कोली को तो इस मामले से जुड़े विभिन्न केसों में 14 बार फांसी की सजा मिल चुकी है।
कोर्ट के आदेश पर दर्ज की गई थी रिपोर्ट
उत्तराखंड से नौकरी की तलाश में नोएडा आए नंदलाल की बेटी 7 मई 2006 को अपने घर से यह कहकर निठारी आई थी कि उसे कोठी मालिक मोनिंदर सिंह पंढेर ने नौकरी देने की बात कहकर बुलाया है। जब वह वापस घर नहीं लौटी तो नंदलाल उसे ढूंढता हुआ कोठी मालिक पंढेर के पास पहुंचा, लेकिन वहां जानकारी होने से इनककार कर दिया गया। जिसके बाद नंदलाल पुलिस के पास भी गया लेकिन जब वहां भी सुनवाई नहीं तो उसने कोर्ट का सहारा लिया। कोर्ट के आदेश पर धारा 156/3 के तहत 8 मई 2006 को सेक्टर-20 नोएडा थाने में गुमशुदगी का मामला दर्ज किया गया।
रिक्शा चालक की जानकारी बनी मददगार
केस से जुड़े लोग बताते हैं कि नंदलाल जब अपनी बेटी को ढूंढ रहा था तो उसे एक रिक्शा चालक मिला, उसने बताया कि वह उसकी बेटी को लेकर पंढेर की कोठी पर गया था। बेटी यह कहकर कोठी के अंदर गई थी कि अभी थोड़ी देर में आती हूं लेकिन वह बाहर नहीं आई। उसने कोठी मालिक से पूछा तो उसने बताया कि वह जा चुकी है। जिसके बाद यह जानकारी पुलिस को दी। इधर निठारी में लगातार बच्चों के लापता होने का मामला गरमा रहा था। उधर नंदलाल भी बेटी को ढूंढने का दबाव बना रहा था। ऐसे में पुलिस ने जांच शुरू की तो नंदलाल की बेटी के पास मौजूद फोन की कॉल डिटेल और लोकेशन के आधार पर पुलिस ने पंढेर की कोठी में छापा मारा। वहां से बेटी का फोन बरामद हो गया।
नाले की खुदाई में मिले थे नर कंकाल
इस मामले में 24 अगस्त 2006 को पंढेर और कोली के खिलाफ कोर्ट के आदेश पर अपहरण का मुकदमा दर्ज किया गया था। बाद में जब पुलिस ने दोनों से पूछताछ की और पूछताछ के आधार पर घर के बाहर नाले की खुदाई की तो वहां कई नर कंकाल मिले थे। जिसके बाद लापता हुए बच्चों के माता-पिता के डीएनए टेस्ट कराए गए। इसके आधार पर पंढेर व कोली के खिलाफ 18 केस दर्ज किए गए। मामला गरमाने पर केस सीबीआई के सुपुर्द कर दिया गया।
सीबीआई कोर्ट में बयान से मुकरा नंदलाल
22 मार्च 2007 को सीबीआई ने जांच के बाद पंढेर और कोली के खिलाफ विशेष सीबीआई कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी। जुलाई 2007 में जब केस की सुनवाई हुई तो नंदलाल ने बयान दिया कि पंढेर ने उसके सामने हत्या में प्रयुक्त आरी पुलिस को बरामद कराई थी। नंदलाल ने बयान में कहा कि उसने पंढेर को तत्कालीन सीओ दिनेश यादव को 500 रुपये की गड्डी देते हुए देखा था। कोर्ट में जब इस मामले की सुनवाई हुई तो 15 नवंबर 2007 को नंदलाल अपने इस बयान से मुकर गया और कहा कि उसने अपना पूर्व का बयान अधिवक्ता के कहने पर दिया था।
कोर्ट के इस फैसले से लोग लेंगे सबक
केस से जुड़े अधिवक्ता मोहम्मद खालिद बताते हैं कि नंदलाल के पूर्व में दिए गए बयान से मुकरने पर तत्कालीन सीबीआई जज रमा जैन ने वादी बनकर 19 नवंबर 2007 को नंदलाल के खिलाफ कोर्ट को धोखा देकर बयान से मुकरने का मुकदमा दर्ज कराया था। इसके बाद केस को दूसरी अदालत में ट्रांसफर कर दिया गया। कोर्ट में 14 साल इस मामले की सुनवाई चली। तमाम सबूतों और बयानों के आधार पर नंदलाल को आईपीसी सेक्शन-193 में दोषी करार दिया गया। अधिवक्ता खालिद ने उम्मीद जताई कि कोर्ट का यह फैसला उन लोगों के लिए सबक होगा जो कोर्ट में शपथ लेने के बावजूद गलत बयान देते हैं और या फिर बयान से मुकर जाते हैं। कोर्ट एक पवित्र स्थल है उसकी गरिमा बनाए रखना जितनी जिम्मेदारी कानून का पालन कराने वालों की है उतनी ही आम व्यक्तियों की भी है।
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