इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम (एससीएसटी एक्ट) के अपराध में एक विशेष न्यायाधीश द्वारा पारित समन आदेश के खिलाफ धारा 482 सीआरपीसी के तहत अपील सुनवाई योग्य नहीं है, क्योंकि 482 के तहत अपील दाखिल ही नहीं की जा सकती है। कोर्ट ने कहा कि अपील केवल एससीएसटी एक्ट की धारा 14 ए(1) के तहत सुनवाई योग्य है। यह आदेश न्यायमूर्ति अनिल कुमार ओझा ने अनुज कुमार उर्फ संजय व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।
मामले में याची के खिलाफ लखीमपुर खीरी के नीमगांव थाने में एससीएसटी एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। लखीमपुर खीरी के जिला न्यायालय के विशेष सत्र न्यायाधीश एससीएसटी द्वारा आरोप पत्र के आधार पर याची को समन जारी किया गया था। याची ने जारी किए गए समन को रद्द कराने की मांग को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सीआरपीसी की धारा 482 के तहत अपील दाखिल की थी।
अपराध का संज्ञान लेना और तलब करना मध्यवर्ती आदेश
कोर्ट ने कहा कि क्योंकि, क्योंकि एससीएसटी एक्ट विशेष कानून है और सीआरपीसी के प्रावधान पर प्रभावी है। इसलिए इस कानून के तहत आदेश पर अपील दाखिल करने की व्यवस्था इसी कानून की धारा 14 ए(1) में की गई है। कोर्ट ने कहा कि याची द्वारा विशेष न्यायाधीश द्वारा पारित आदेश के खिलाफ इसी कानून के तहत हाईकोर्ट के समक्ष अपील दाखिल की जा सकती है।
सीआरपीसी की धारा 482 के तहत अपील सुनवाई योग्य नहीं है। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट के गिरीश कुमार सुनेजा बनाम सीबीआई के फैसले का हवाला दिया। जिसमें यह कहा गया है कि अपराध का संज्ञान लेना और आरोपी को तलब करना एक मध्यवर्ती आदेश है। इसलिए विशेष न्यायाधीश एससीएसटी द्वारा पारित आदेश के खिलाफ अपील धारा 482 सीआरपीसी के तहत नहीं की जा सकती है।
More Stories
बीज के नाम पर अन्नदाता से छल, बांट दिया घुन लगा, बोवनी के लिए चिंता हो रही किसान
Chirag Paswan झारखंड में 23 नवंबर के बाद ‘डबल इंजन’ सरकार बनेगी
Raipur: झूठे आरोपों से तंग आकर ऑटो मैकेनिक ने घर में फांसी लगाकर कर ली खुदकुशी, सुसाइड नोट में सामने आई ये बात