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प्रदूषण नियंत्रण के साथ-साथ आर्थिक गतिविधियोंको चालू रखना सरकार की प्राथमिकता

जनपद फर्रूखाबाद में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के मानकों पर खरा न उतरने के कारण ब्लाक प्रिटिंग (छापे खाने) की बंद इकाइयां पुनः चालूू होंगी। सरकार इसके लिए ठोस रणनीति तैयार कर रही है। ब्लाक प्रिटिंग इकाइयों से निकलने वाले प्रदूषित जल को साफ करने के लिए वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जायेगा। पाइप लाइन के माध्यम से प्रदूषित जल वहां पहंुचाया जायेगा।
      अपर मुख्य सचिव, सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम डा0 नवनीत सहगल ने इस संबंध में फर्रूखाबाद के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की और बंद इकाइयों को जल्द से जल्द शुरू कराने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रदूषण की रोकथाम जरूरी है, लेकिन आर्थिक गतिविधियों को चालू रखना है। फर्रूखाबाद में ब्लाक प्रिंटिंग ओडीओपी उत्पाद है, इससे बड़़ी संख्या में कारीगर जुड़े हुए है। वहां लगभग 250 छापे खाने की इकाईयां है, जिसमें 108 इकाइयां बंद है, क्योंकि इन इकाइयों से निकलने वाला प्रदूषित पानी सीधे गंगा नदी में जाता रहा है। उन्होंने कहा कि एनजीटी की गाइडलाइन के अनुसार प्रदूषित पानी गंगा नदी में न जाये, इसके लिए शीघ्र ही फर्रूखाबाद मंे सामान्य सुविधा स्कीम के सीईटीपी लगाकर इस समस्या से निजात दिलाया जायेगी। उन्होंने निर्देश दिए कि जब तक यह प्लांट स्थापित नहीं हो जाता, तब तक कोई वैकल्पिक व्यवस्था कर इकाइयों को शुरू कराया जाय।
     अपर मुख्य सचिव ने कहा कि इसी प्रकार जनपद मुरादाबाद में कई इकाइयां वायु प्रदूषण उत्पन्न करने के कारण बंद है, वहां भी पीतल का उत्पाद ओडीओपी प्रोडक्ट है। मुरादाबाद बड़ी संख्या में पीतल व ताबें से बने बर्तन आदि का विदेशों में निर्यात हो रहा है, लेकिन इकाइयों द्वारा उत्पाद तैयार करने के लिए कोयले का ज्यादा उपयोग किया जा रहा है, जिससे हवा का क्यूआई मानक से ज्यादा हो जाने के कारण कई इकाइयांे को बंद करना पड़ा। सरकार इन्हें पुनः शुरू करायेगी और कोयले के स्थान पर गैस से इकाइयां चलाने को प्रमुखता दी जा रही है। इकाइयों के संचालन हेतु गैस संयंत्र का लगाने के लिए सरकार आवश्यक सुविधाएं भी देगी। साथ ही शीघ्र ही गैस पाइप लाइन के माध्यम से इकाइयों को गैस सप्लाई की जायेगी।