आगरा के बालूगंज में मुरली मनोहर मंदिर के पास वरिष्ठ अधिवक्ता गया प्रसाद के घर में शनिवार रात तीन बजे भूतल पर शॉर्ट सर्किट से आग लग गई। भूतल पर कमरे में अधिवक्ता और प्रथम तल पर उनके बेटे प्राकृतिक एवं योगा चिकित्सक आशीष दीक्षित (48), बहू डॉ. प्राची, पौत्री खुशी (17) और पौत्र प्रणय उर्फ अंशु (16) सो रहे थे। पांचों घर में फंस गए। हादसे में डॉ. आशीष दीक्षित की जान चली गई। मगर, खुशी की सूझबूझ से तीन लोगों की जान बच गई। परिवार के लोगों ने बताया कि जब धुआं भरा हुआ था, तब खुशी ने यूपी 112 पर कॉल किया। पुलिस से मदद मांगी। इस पर कुछ ही देर में पुलिस पहुंच गई। पड़ोसियों से मदद लेकर घर खुलवाया। तब तक डॉ. आशीष, उनकी पत्नी, बेटा और बेटी बेहोश हो गए थे। दमकल और पुलिस चारों को बाहर निकालकर लाई थी। लोगों का यही कहना था कि खुशी कॉल नहीं करती तो पुलिस मदद को नहीं आती।
20 मिनट तक चला बचाव कार्य
मकान में धुएं के बीच फंसे परिवार को बचाने के लिए पुलिस और दमकलकर्मियों ने खूब कवायद की। सवा तीन बजे सूचना मिलने पर फायर स्टेशन ऑफिसर अमर सिंह पाल, लीडिंग फायरमैन सागर गुप्ता, फायर मैन मुन्ना सिंह, कमलेश स्वामी, मनवीर, अभय कुमार, महेश और अवधेश के साथ थानाध्यक्ष रकाबगंज राकेश कुमार पहुंचे थे। पहले गैराज का दरवाजा खोलने का प्रयास किया। मगर, सफलता नहीं मिली। इस पर सीढ़ी लगाकर बालकनी पर जाने की कोशिश की। मगर, खिड़की का दरवाजा नहीं टूटा। बाद में मुख्य दरवाजे से घर में दाखिल हुए। धुएं में अंदर जाने की वजह से दमकलकर्मी कमलेश स्वामी की हालत बिगड़ गई। उनको बाहर निकाला गया। 20 मिनट में परिवार के सभी लोगों को बाहर निकाल लिया गया।
पड़ोसी ने बताया घर का रास्ता
बालूगंज में जिस जगह पर हादसा हुआ, वहां पर सात मकान बने हुए हैं। गया प्रसाद के पड़ोस में गिरीश जैन रहते हैं। पुलिस ने घर के बारे में पता करने के लिए उनको जगाया। कॉलोनी की मीना जैन, जौली और विनोद आदि आ गए। वह भी घर में आग बुझाने और लोगों को निकालने के लिए जुट गए। गिरीश जैन ने पुलिस को घर का रास्ता बताया। वह परिवार को अस्पताल पहुंचाने में भी साथ रहे। दोपहर तक इलाज कराने में जुटे रहे। गिरीश जैन ने बताया कि डॉ. आशीष दीक्षित उनके गहरे दोस्त थे। उनकी ऐसे मौत हो जाएगी, सोचा भी नहीं था।
घर में लगा रखा है सोलर पैनल
गया प्रसाद ने बताया कि उनके घर में चिकिल्सालय, उनका कार्यालय, सेंटर, आरओ प्लांट लगा है। घर तकरीबन एक हजार वर्ग गज में बना है। इसमें आधे भाग में कमरे बने हैं। घर के अंदर से ही चिकित्सालय में जाने का रास्ता है। बिजली के लिए एक वर्ष पहले आठ लाख रुपये की कीमत से 35 किलोवाट के दो सोलर पैनल लगवाए थे। वह अंदर के कमरे में रहते हैं। सीढ़ियों से प्रथम तल पर जाने पर डॉ. आशीष के बच्चों का कमरा पड़ता है। बाद में डॉ. आशीष का।
बेंगलुरु से आई बेटी, कराया पिता का अंतिम संस्कार
पड़ोसी गिरीश जैन ने बताया कि डॉ. आशीष दीक्षित का अंतिम संस्कार शाम को ताजगंज स्थित विद्युत शवदाह गृह में किया गया। उनकी बेटी रिया बेंगलुरु में बीटेक कर रही हैं। वह आगरा आ गईं। उन्होंने अंतिम संस्कार किया। प्राची को अभी पति की मौत के बारे में नहीं बताया गया है। उनके पूछने पर यही कहा कि अभी इलाज चल रहा है। खुशी को अभी होश नहीं आ सका है।
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