विशेष सचिव न्याय प्रफुल्ल कमल द्वारा 14 मई को प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को भेजे पत्र में अधिवक्ताओं के लिए अराजक शब्द का प्रयोग किए जाने से अधिवक्ता पहले से ही आक्रोशित थे, अब अपर मुख्य सचिव के पत्र ने उनकी नाराजगी बढ़ा दी है। बार कौंसिल के आह्वान पर प्रदेश भर के अधिवक्ता शुक्रवार को विरोध दिवस मनाएंगे। इसके साथ ही डीएम, एसडीएम के माध्यम से अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपेंगे। यह निर्णय बृहस्पतिवार को बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के चेयरमैन श्रीश कुमार मेहरोत्रा की अध्यक्षता में आयोजित ऑनलाइन बैठक में लिया गया।
बैठक में पदाधिकारियों ने कहा कि अधिवक्ता कोर्ट का अधिकारी होता है। उनका कहना था कि पहले विशेष सचिव प्रफुल्ल कमल द्वारा 14 मई को आदेश पत्र जारी कर उनका अपमान किया गया। अधिवक्ताओं ने जब इसका विरोध शुरू किया तो इसको वापस लेकर अब अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी की ओर से आदेश पत्र जारी कर उन पर अमर्यादित टिप्पणी की जा रही है।
पदाधिकारियों ने कहा कि अधिवक्ता न्याय प्रणाली का अभिन्न व अविभाज्य अंग है। जनता को उनका हक दिलवाने और उनके मौलिक अधिकारों की रक्षा करते हैं। अधिवक्ता समाज सचिवों के आदेश पत्र से बहुत ही आहत और अपने आप को अपमानित महसूस कर रहा है। पदाधिकारियों ने चेतावनी दी कि अगर इस मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो उत्तर प्रदेश बार कौंसिल चरणबद्ध तरीके से आंदोलन के लिए बाध्य होगी। पदाधिकारियों ने 22 मई को इस संदर्भ में आपात बैठक भी बुलाई है।
अफसरों का आदेश पत्र गलत
पदाधिकारियों ने 14 मई के विशेष सचिव के आदेश पर विस्तृत चर्चा की। कहा कि इस पत्र में अधिवक्ताओं को अराजक तत्व बताया गया है। उनके खिलाफ एकतरफा एवं क्षेत्राधिकारहीन अनुशासनात्मक कार्रवाई का आदेश देना गलत है। यह प्रदेश भर के अधिवक्ताओं का अपमान है और बार कौंसिल के क्षेत्राधिकार का हनन है।
शासन ने अधिवक्ताओं के आक्रोश को देखते हुए इस आदेश पत्र को वापस ले लिया, लेकिन 15 मई को अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी ने दूसरा आदेश पत्र जारी कर दिया। इसमें कहा गया कि न्यायालय परिसर के भीतर बने अधिवक्ताओं के चैंबर में अक्सर मारपीट की घटनाएं घटित होने की सूचनाएं प्राप्त होती हैं, इसकी रोकथाम के लिए प्रभावी व्यवस्था सुनिश्चित की जाए ताकि किसी प्रकार की अप्रिय घटना घटित न हो।
इसके अलावा न्यायालय में गवाही देने हेतु आने वाले गवाह एवं मुकदमों से संबंधित विवेचक जो न्यायालय में आते हैं, उनसे भी दुर्व्यवहार की घटनाएं कारित होती हैं, जिसके कारण कानून एवं व्यवस्था को खतरा बना रहता है। इस संबंध में ऐसे अधिवक्ताओं जिनके द्वारा पुलिस अधिकारियों के साथ दुर्व्यवहार किया गया हो अथवा दुर्व्यवहार की आशंका हो के संबंध में जिला जज, प्रशासनिक अधिकारी को अवगत कराते हुए पुलिस अधिकारियों, कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित कराई जाए। पदाधिकारियों ने इसे अधिवक्ता सम्मान पर कुठाराघात करने वाला बताया। कहा कि यह आदेश एकतरफा है। इसके साथ ही संविधान प्रदत्त सभी को न्याय के संरक्षण से वंचित करता है।
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