झांसी: वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई और महाराजा गंगाधर राव के विवाह की 180वीं वर्षगांठ पर झांसी में गुरुवार को कई कार्यक्रम हुए। इस मौके पर शहर में कई प्रतियोगिताएं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। पानी वाली धर्मशाला स्थित महाराष्ट्र गणेश मंदिर में पिछले कई दिनों से चल रहे सांस्कृतिक कार्यक्रमों का गुरुवार को समापन हो गया। रानी लक्ष्मीबाई का विवाह इसी गणेश मंदिर में गंगाधर राव के साथ हुआ था और यहीं से वे झांसी की रानी बनीं।
जानकारों का दावा है कि रानी लक्ष्मीबाई का विवाह वर्ष 1842 में झांसी के राजा गंगाधर राव के साथ झांसी के महाराष्ट्र समाज गणेश मंदिर में हुआ था। पिछले कुछ वर्षों से झांसी के सामाजिक संगठनों ने रानी लक्ष्मीबाई के विवाह के वर्षगांठ को मनाने की परंपरा शुरू की है। यह आयोजन बेहद ही भव्य तरीके से धूमधाम के साथ मनाया जाता है, जिसमें शहर के सामाजिक संगठन बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। इस वर्ष भी कई तरह के कार्यक्रम आयोजित हुए। लक्ष्मी व्यायाम मंदिर से एक शोभायात्रा निकाली गई, जो गणेश मंदिर पर जाकर समाप्त हुई।
महाराष्ट्र गणेश मंदिर समिति के सचिव गजानन खानवलकर ने बताया कि रानी लक्ष्मीबाई और राजा गंगाधर राव के विवाह की हमने 180वीं जयंती मनाई है। इस मौके पर एक शोभायात्रा निकाली गई, जो लक्ष्मी व्यायाम मंदिर से शुरू हुई और माणिक चौक, कोतवाली, सराफा बाजार सहित शहर के कई हिस्सों से होते हुए गणेश मंदिर पर समाप्त हुई। इस मंदिर में विवाह की प्रतीकात्मक विधियां की गईं। शोभायात्रा में रानी लक्ष्मीबाई, गंगाधर राव, रानी की सखियां व अन्य की झांकी शामिल की गई।
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