मिर्जापुर: पानी की एक-एक बूंद सहेजने के लिए विंध्य क्षेत्र में अमृत सरोवर के निर्माण का कार्य मंगलवार से शुरू हुआ। इस योजना के तहत जिलेभर में 77 अमृत सरोवर बनाए जाएंगे। शासन की मंशा है कि इन सरोवरों में एकत्रित हुए पानी से पशु पक्षियों की प्यास बुझेगी तो साथ ही भूगर्भ भी रिचार्ज हो सकेगा, जिससे वाटर लेबल नीचे न जा सकें और पानी की उपलब्धता भी बनी रहे।
दरअसल, मिर्जापुर जिला विंध्य की पहाड़ियों पर स्थित है और इसका ज्यादातर इलाका पठारी है। पठारी क्षेत्र होने के नाते यहां का वाटर लेबल काफी नीचे है। गर्मियों में तो वाटर लेबल नीचे चलें जाने के कारण नल और कुएं तक सूख जाते हैं, जिसके चलते जिले के राजगढ़, मड़िहान, लालगंज, हलिया, सीखड़ ,जमालपुर ब्लॉक के ज्यादातर गांवो में पानी का संकट उत्पन्न हो जाता है । पानी के संकट को देखते हुए जिलेभर में 77 अमृत सरोवर के निर्माण का कार्य एक साथ शुरू हुआ। जिसका शुभारंभ डीएम प्रवीण कुमार सहित जनप्रतिनिधियों ने अपने हाथों से फावड़ा चलाकर किया।
15 से 24 लाख होगी लागत
डीसी मनरेगा मो. नफीस ने बताया कि यह सरोवर एक एकड़ तक में बनाए जा सकते हैं। इन सरोवर की लागत 15 से 24 लाख के बीच होगी। साथ ही डीसी मनरेगा ने बताया कि 15 अगस्त 2022 तक हम 20 प्रतिशत सरोवरों का निर्माण कार्य पूरा कर लेंगे। इसके अलावा बाकी का निर्माण 2023 में पूरा होगा। डीसी मनरेगा ने बताया कि सरोवर के चारों तरफ सोलर लाइट, पथवे, पेड़ पौधे भी लगाए जाएंगे।
तालाबों में नहीं है पानी
जिले में पहले भी 1 हजार 74 तालाबों का निर्माण मनरेगा के तहत करवाया जा चुका है। आज यह तालाब पट चुके है या उनमें पानी ही नहीं है ऐसे में यह सरोवर कितना काम आएंगे, यह तो समय ही बताएगा।
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