सार
राष्ट्रीय लोक अदालत में दीवानी और तहसील स्तर पर कुल 3,75,621 वादों का निस्तारण किया गया। शनिवार को उपभोक्ता फोरम प्रथम ने भी आठ मामले सुलझाए।
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राष्ट्रीय लोक अदालत का उद्देश्य वादकारियों को सस्ता और त्वरित न्याय दिलाना है। इससे वादकारियों का धन और समय दोनों बचता है। आगरा में शनिवार को राष्ट्रीय लोक अदालत का उद्घाटन करते हुए यह बात जिला जज विवेक संगल ने कही। दीवानी और तहसील स्तर पर कुल 3,75,621 वादों का निस्तारण किया गया।
जनपद न्यायाधीश एवं अपर जनपद न्यायाधीश ने अन्य प्रकृति के 450 वादों का निस्तारण किया। इनमें जुर्माना राशि के रूप में 49,700 रुपये अधिरोपित किया गया। परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश रामनरेश मौर्य ने 69 वाद निस्तारित किए।
अतिरिक्त परिवार न्यायालयों ने 83 वादों का निस्तारण किया। इस अवसर अपर जिला जज नीरज गौतम, लोकेश नागर, सीजेएम प्रदीप कुमार, स्पेशल सीजेएम प्रिया सक्सेना, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव नवीन कुमार, जिला उपभोक्ता फोरम अध्यक्ष सर्वेश कुमार आदि मौजूद रहे।
उपभोक्ता फोरम प्रथम ने आठ मामले सुलझाए
राष्ट्रीय लोक अदालत में शनिवार को उपभोक्ता फोरम प्रथम के अध्यक्ष सर्वेश कुमार, सदस्य अरुण कुमार ने आठ मुकदमे सुलझाए। सभी में वादी के पक्ष में निर्णय सुनाया गया। पश्चिमपुरी की रहने वाली विधवा मुन्नी रानी शर्मा को जमीन का एक टुकड़ा खरीदने के लिए दिए गए पांच हजार रुपये वापस पाने में 28 वर्ष लड़ाई लड़नी पड़ी।
शनिवार को राष्ट्रीय लोक अदालत में उन्हें इंसाफ मिल सका। उपभोक्ता फोरम प्रथम के अध्यक्ष सर्वेश कुमार, सदस्य अरुण ने वादी के पक्ष में निर्णय सुनाया। समिति की ओर से राज्य आयोग में अपील से पहले फोरम में जमा कराई गई रकम के ड्राफ्ट को तुड़वाकर उसकी रकम वादी को देने के निर्देश दिए।
इसी तरह बोदला के श्याम नगर निवासी दुष्यंत अस्थाना ने वर्ष 2010 में परिवाद प्रस्तुत किया था। उन्होंने दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड खंड-दो कमला नगर के अधीक्षण अभियंता को विपक्षी बनाया था। उन्होंने एक दुकान बोदला रोड पर खरीदी थी। जिसका विद्युत कनेक्शन 2008 में लिया था।
कहने के बाद भी विभाग से मीटर नहीं लगाया गया। बिल भेज दिया गया। उपभोक्ता फोरम ने विभाग को आदेश किया कि वह न्यूनतम बिल उपलब्ध कराए। बिल की राशि में पांच हजार रुपये मानसिक क्षतिपूर्ति एवं दो हजार रुपये वाद व्यय के मद में समायोजित करें।
पत्नी को फिर से मिला पति का साथ
राष्ट्रीय लोक अदालत में पारिवारिक न्यायालयों में आपसी सुलह और समझौते से 27 जोड़े फिर से एक हो गए। मथुरा निवासी 58 वर्षीय महिला अपने 60 वर्षीय पति से मतभेद के कारण चार साल से अलग रह रही थी। भरण पोषण का वाद प्रस्तुत किया था। वह कोर्ट की चक्कर लगा रही थीं। प्रधान न्यायाधीश रामनरेश मौर्य के समझाने पर दोनों साथ रहने के लिए तैयार हो गए। वह खुशी से विदा हो गए।
विस्तार
राष्ट्रीय लोक अदालत का उद्देश्य वादकारियों को सस्ता और त्वरित न्याय दिलाना है। इससे वादकारियों का धन और समय दोनों बचता है। आगरा में शनिवार को राष्ट्रीय लोक अदालत का उद्घाटन करते हुए यह बात जिला जज विवेक संगल ने कही। दीवानी और तहसील स्तर पर कुल 3,75,621 वादों का निस्तारण किया गया।
जनपद न्यायाधीश एवं अपर जनपद न्यायाधीश ने अन्य प्रकृति के 450 वादों का निस्तारण किया। इनमें जुर्माना राशि के रूप में 49,700 रुपये अधिरोपित किया गया। परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश रामनरेश मौर्य ने 69 वाद निस्तारित किए।
अतिरिक्त परिवार न्यायालयों ने 83 वादों का निस्तारण किया। इस अवसर अपर जिला जज नीरज गौतम, लोकेश नागर, सीजेएम प्रदीप कुमार, स्पेशल सीजेएम प्रिया सक्सेना, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव नवीन कुमार, जिला उपभोक्ता फोरम अध्यक्ष सर्वेश कुमार आदि मौजूद रहे।
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