ह्यूमन लॉ नेटवर्क की ओर से दाखिल याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संगठन और जनहित याचिका दाखिल करने वाले विधि छात्रों पर बहुत ही तल्ख टिप्पणी की। कहा कि जब याचिका पर सुनवाई के लिए तय तारीखों पर पक्ष रखने आना न हो तो याचिका क्यों दाखिल की। क्या कोर्ट को डंपिंग स्टेशन समझ रखा है।
कोर्ट ने संगठन ह्यूमन लॉ नेटवर्क और उन सभी छात्रों के विश्वविद्यालयों को नोटिस जारी करने का आदेश दिया, जो जनहित याचिका दाखिल करने में शामिल हैं। यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की खंडपीठ ने ज्योति वर्मा व 10 अन्य की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर दिया है।
विधि छात्रों की ओर से प्रयागराज और उसके आसपास के इलाकों में राष्ट्रीय राजमार्ग के विस्तार के दौरान काटे जा रहे पेड़ों के संदर्भ में याचिका दाखिल की गई थी। कहा गया था कि जो पेड़ काटे जा रहे हैं, उन्हें रीप्लांट क्यों नहीं कराया जा रहा है। हाईकोर्ट ने इस संदर्भ में पूर्व में आदेश भी पारित किया था। कोर्ट ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से कहा था कि क्यों न कोई ऐसी मशीन हो, जो पेड़ को काटने की बजाय उसे दूसरे स्थान पर प्लांट कर दे।
याची की तरफ से किसी के न पहुंचने पर तल्ख टिप्पणी
कोर्ट ने मामले में केंद्र सरकार को भी पक्ष बनाया था। इसके पूर्व हुई सुनवाई में याची की तरफ से कोई उपस्थित नहीं हुआ तो कोर्ट ने नाराजगी जताई थी और याचिका दाखिल करने वालों को नोटिस जारी किया था। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचियों के बारे में पूछताछ शुरू की तो कई याची उपस्थित नहीं थे और ह्यूमन लॉ नेटवर्क का कोई भी सदस्य नहीं था।
कोर्ट ने लॉ नेटवर्क की संचालक चार्ली प्रकाश के बारे में पूछा तो याची की तरफ से उपस्थित अधिवक्ता प्रबल प्रताप सिंह ने बताया कि कुछ दिक्कतों की वजह से वह कोर्ट के समक्ष नहीं उपस्थित हो सकीं।
विभिन्न कॉलेज और विवि को भी नोटिस जारी करने का निर्देश
कोर्ट ने कहा कि छात्रों को लेकर याचिका दाखिल कर देते हो और यहां लाकर उसे डंप कर देते हो। कोर्ट ने कहा कि इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कोर्ट ने ह्यमन लॉ नेटवर्क के बारे में भी जानकारी पूछी। कहा कि संगठन को फंडिंग कहां से हो रही है। कौन कर रहा है। इस पर बताया गया कि कहीं से फंडिंग नहीं होती। संगठन के सदस्य ही आपस में चंदा करके अपना काम करते हैं। कोर्ट ने इस पर नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है। इसके साथ याचिका में विभिन्न कॉलेजों, विश्वविद्यालयों को भी नोटिस जारी करने को कहा है, जो याचिका दाखिल करने में शामिल हैं। मामले की केंद्र सरकार की ओर से राजेश त्रिपाठी ने पख रखा।
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