आगरा किला का मुसम्मन बुर्ज हो या शीश महल, मीना बाजार हो या रतन सिंह की हवेली। दीवान ए खास हो या मोती मस्जिद या फिर शिवाजी की कथित जेल। इतिहास के बंद झरोखों को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने बंद कर रखा है। ताजमहल के तहखाने के 20 कमरों को खोलने की मांग वाली याचिका के बाद ताजनगरी के पर्यटन उद्यमियों ने मांग उठाई है कि विरासतों को पर्यटकों के लिए खोला जाए। भले ही इसके लिए ताजमहल की तरह अतिरिक्त टिकट लगाया जाए। इससे पर्यटक अपनी धरोहरों को देख भी सकेंगे और बंद रहने के कारण स्मारकों को भी सीलन, रखरखान न होने से नुकसान भी नहीं होगा।
पर्यटन उद्योग की इस मांग को पूर्व में उठाया, जिस पर संस्कृति मंत्रालय में कोरोना काल से पूर्व चर्चा भी हुई। अब फिर से पर्यटन उद्योग आकर्षण वाले स्मारकों को पर्यटकों के लिए खोलने की मांग दोहरा रहा है।
टूरिज्म गिल्ड के उपाध्यक्ष राजीव सक्सेना ने बताया कि आगरा किला की आत्मा है शीश महल, लेकिन उसे बंद कर दिया है। वह किले का सबसे बड़ा आकर्षण है। जब वही बंद रहेगा तो पर्यटक क्यों आएंगे। जो सैलानी किला देखने आते हैं, वह शीशमहल न देख पाने पर मायूस होते है। चाहे टिकट लगा दें पर गंभीर पर्यटकों को शीशमहल देखने दिया जाए।
आगरा एप्रूव्ड गाइड एसोसिएशन के अध्यक्ष शमशुद्दीन ने कहा कि संस्कृति मंत्री दो बार किले के बंद हिस्सों को खोलने का आदेश दे चुके हैं। केवल सुरक्षा गार्ड तैनात करने हैं। अब तो सीसीटीवी का जमाना है। अगर शीशमहल के कांच खुरचने का डर है तो ग्लास लगाया जा सकता है, जिससे पर्यटक देख भी सकेंगे और खुरचेंगे भी नहीं।
अधीक्षण पुरातत्वविद राजकुमार पटेल ने कहा कि ताजमहल समेत स्मारकों में समय समय पर संरक्षण कार्य के लिए और पर्यटकों की सुरक्षा के लिए कई हिस्सों को बंद किया गया। पूर्व में तहखाने तक पर्यटक जाते थे, पर बाद में उन्हें सुरक्षा कारणों से बंद किया गया। उसका समय समय पर संरक्षण किया जाता है। किले के कुछ हिस्सों को विशेष मौकों पर खोलने का विचार किया जा रहा है।
अयोध्या के भाजपा नेता डॉ. रजनीश सिंह ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में दायर एक याचिका में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को ताजमहल के बंद 20 कमरे खोलने का निर्देश देने की गुजारिश की गई है ताकि यह पता लगाया जा सके कि वहां हिंदू मूर्तियां और शिलालेख छिपे हैं या नहीं। इसके बाद लोगों में इन कमरों को लेकर उत्सुकता बढ़ गई है।
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