उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य ने ग्राम्य विकास विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि मनरेगा योजना के अंतर्गत प्रदेश के अंदर 150 हाईटेक नर्सरी की स्थापना का कार्य 100 दिन के अंदर अनिवार्य रूप से प्रारंभ कर दिया जाए। उन्होंने भी निर्देश दिए हैं कि प्रत्येक जनपद में फलों एवं चयनित सब्जियों को उगाने के लिए दो हाईटेक नर्सरी की स्थापना की जाए । प्रत्येक नर्सरी की लागत लगभग रू० 01 करोड़ होगी और एक नर्सरी में लगभग 15 लाख पौधे तैयार होंगे।
ग्राम्य विकास विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार हाइटेक नर्सरी का निर्माण उद्यान विभाग द्वारा निर्धारित मानकों के अनुरूप इजराइली तकनीक के अनुसार किया जायेगा।योजनान्तर्गत निर्मित हाइटेक नर्सरी का रख-रखाव राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के क्लस्टर लेविल फेडरेशन के माध्यम से किया जायेगा स
महात्मा गाँधी नरेगा योजना एवं उद्यान विभाग के तकनीकी सहयोग व मार्ग-दर्शन में (उद्यान विभाग , प्रोजेक्ट इम्प्लीमेन्टेशन एजेंसी ) के रूप में) हाइटेक नर्सरी बनेगी। योजनान्तर्गत स्थानीय भौगोलिक परिस्थितियों एवं आस पास के क्षेत्रों में मांग के अनुसार फल जैसे- अनार, कटहल, नींबू, आम, अमरुद, आदि एवं सब्जी उगाने हेतु प्रत्येक जनपद में 2 नर्सरी का निर्माण किया जाना है।
हाइटेक नर्सरी का निर्माण सामुदायिक एवं व्यक्तिगत भूमि पर किया जा सकता है स मनरेगा योजना के अंतर्गत नर्सरी का निर्माण स्वयं सहायता समूह/ विलेज आर्गनाइजेशन/ कलस्टर लेवल फेडरेशन के सदस्यों के सामूहिक रूप से अवस्थित जमीन (विभाग द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार) पर किया जायेगा सनर्सरी केनिर्माण हेतु पौध तथा उन्नतशील बीज उद्यान विभाग द्वारा (उद्यान विभाग द्वारा निर्धारित/नामित वेन्डर्स के माध्यम से) उपलब्ध कराया जाएगा सहाइटेक नर्सरी के निर्माण हेतु उद्यान विभाग के प्राक्कलन के अनुसार 1 हेक्टेयर से 4 हेक्टेयर का क्षेत्रफल अनुमन्य/आवश्यक है सउद्यान विभाग के प्राक्कलन के अनुसार हाइटेक प्रत्येक नर्सरी की औसत लागत लगभग रूव 1.00 करोड़ आएगी सयोजनान्तर्गत निर्मित हाइटेक नर्सरी से प्रत्येक वर्ष 12 लाख से 16 लाख( औसतन 15 लाख) शाक -भाजी, फल, औषधीय आदि पौधों का उत्पादन किया जा सकेगा सनर्सरियों में प्रापर फेन्सिग, नेट हाउस, सिंचाई सुविधा, हाईटेक ग्रीन हाउस आदि अवस्थापना सुविधाए सृजित की जाएँगी सयोजनान्तर्गत निर्मित हाइटेक नर्सरी से उत्पादित पौधों का विक्रय स्थानीय स्तर पर इच्छुक कृषकों, क्षेत्रीय स्तर पर कृषक उत्पादन संगठनों (थ्च्व्) , राज्य स्तर पर अन्य प्राइवेट नर्सरियों, राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न राज्य सरकारों के वृक्षारोपण हेतु तथा अन्य राज्यों के इच्छुक कृषक व् कृषक संगठनों को किया जायेगा।
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