वृंदावन के विश्व विख्यात ठाकुर श्रीबांकेबिहारी मंदिर में वर्ष में एक बार होने वाले चरण दर्शनों की तैयारियां शुरू हो गई हैं। अक्षय तृतीया पर ठाकुरजी के चरण दर्शन होंगे। आचार्य श्याम दत्त चतुर्वेदी ने बताया कि यह तिथि वसंत ऋतु के अंत एवं ग्रीष्म ऋतु के आगमन का पर्व है। नारद पुराण, मत्स्य पुराण आदि में इस तिथि के महत्व का विस्तृत उल्लेख मिलता है। जिसका हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार के मुहूर्त के बिना भी इस तिथि पर कोई भी शुभ कार्य किया जाता है। अक्षय तृतीया का पर्व ब्रजमंडल का एक विशेष पर्व भी माना जाता है। इस तिथि को जो भी दान पुण्य किया जाता है, उसे यह तिथि अक्षय बना देती है। बांकेबिहारी मंदिर के अलावा तीर्थनगरी के सप्तदेवालयों में भी अक्षय तृतीया पर्व की तैयारियां शुरू हो गई हैं। अक्षय तृतीया पर ठाकुरजी को चंदन का लेप लगाया जाएगा। इसके लिए मंदिरों में सेवायत चंदन की घिसाई कर रहे हैं।
मंदिरों में सजेंगे फूलबंगले
अक्षय तृतीया के अवसर पर वृंदावन के सप्त देवालयों के अलावा अन्य मंदिरों में फूलबंगलों का आयोजन प्रारंभ हो जाता है। यहां के विश्व प्रसिद्ध श्रीबांकेबिहारी मंदिर और हरिदासी संप्रदाय के रसिक बिहारी के साथ-साथ टटिया स्थान पर स्थित मोहिनी बिहारी मंदिर में वर्ष में एक बार चरण दर्शन होते हैं, जिसके कारण यहां विभिन्न राज्यों से आये लाखों भक्तों की अपार भीड़ रहती है।
तीर्थनगरी के सप्तदेवालयों में शामिल ठाकुर राधादामोदर, राधारमण मंदिर, राधागोपीनाथ, राधागोविंद, राधा मदनमोहन, राधागोकुलानंद और राधा श्याम सुंदर के साथ ठाकुर श्रीबांकेबिहारी मंदिर, राधावल्लभ मंदिर में चंदन शृंगार के अद्भुत दर्शनों की झांकी वर्ष में एक बार ही होती है। इसके लिए मंदिर के सेवायतों द्वारा ठाकुरजी को लगाए जाने वाले चंदन को घिसने का कार्य शुरू कर दिया है।
रंगीली एकादशी पर वृंदावन में करीब पांच लाख श्रद्धालुओं ने ठाकुरजी के दर्शन किए थे। साल में एक बार आने वाले इस पर्व पर श्रद्धालुओं की संख्या का रिकॉर्ड टूट सकता है। मंदिर सेवायत ठाकुरजी को लगाए जाने वाले चंदन की घिसाई का कार्य करने में जुट गए हैं।
राधा दामोदर मंदिर के सेवायत कनिका गोस्वामी और कृष्णा गोस्वामी ने बताया कि अक्षय तृतीया पर गर्मी से राहत देते के लिए ठाकुरजी के शरीर पर यही चंदन का लेप लगाया जाता है। अक्षय तृतीया 3 मई को मनाई जाएगी। इधर, वृंदावन के इस्कॉन मंदिर के साथ अन्य मंदिरों में भी चंदन घिसने का कार्य चल रहा है।
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