लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election) का परिणाम आए 47 दिन गुजर चुके हैं, लेकिन समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) अब तक हार के सदमे से उबरती नहीं दिख रही है। विधानसभा चुनाव (UP Chunav) से पहले सत्ता में वापसी के दावे चुनाव परिणाम में फेल हो गए। इसके बाद से ही चुनावी हार के कारणों की समीक्षा का मसला उठता रहा है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया। पार्टी को जीत और गठबंधन की सरकार बनाने का दावा करने वाले अखिलेश ने इस रिजल्ट को अब तक एक प्रकार से स्वीकार ही नहीं किया है। हालांकि, अब सपा की ओर से रमजान का महीना को आधार बनाकर समीक्षा बैठक में देरी की बात कही गई है।
समाजवादी पार्टी सूत्रों की ओर से संकेत मिल रहे हैं कि रमजान का महीना खत्म होने और ईद के बाद चुनावी हार की समीक्षा की जाएगी। इसके लिए तैयारियां भी शुरू की गई हैं। पिछले दिनों पार्टी की हार की समीक्षा को लेकर किए गए सवाल के एक जवाब में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा था कि चुनाव आयोग की ओर से विस्तृत रिजल्ट नहीं मिल पाया है। इस कारण यूपी चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन की समीक्षा नहीं की गई। हालांकि, सवाल यह भी है कि यूपी चुनाव को जब समाजवादी पार्टी ने पूरी तरह से अखिलेश यादव के इर्द-गिर्द ही रखा था, तो समीक्षा किस बात की होगी? अगर समीक्षा होगी तो हार के लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाएगा?
पार्टी की हार न होने का हो रहा है दावा
चुनाव परिणाम आने के बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसे हार मानने से इंकार कर दिया था। वोट प्रतिशत में भारी इजाफा और वर्ष 2017 की तुलना में ढाई गुना के करीब सीटों में वृद्धि को पार्टी अपनी जीत का आधार बताती रही है। ऐसे में राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चुनावी समीक्षा के क्रम में पार्टी हार के लिए केंद्र और राज्य सरकार की मशीनरी को जिम्मेदार ठहरा कर खुद को कंफर्टेबल पोजिशन में पेश कर सकती है। लेकिन, इसका नुकसान आने वाले समय में पार्टी को ही झेलना पड़ेगा।
मुस्लिम वोटों की नाराजगी का भी मुद्दा
यूपी चुनाव के बाद बनी योगी सरकार 2.0 में बुलडोजर खूब तेजी से गरजा है। तेजी से दौड़ती बुलडोजर की चपेट में सरकारी जमीनों पर कब्जा जमाए समाजवादी पार्टी के नेता भी आ रहे हैं। वहीं, कानून का राज स्थापित करने को लेकर कई अल्पसंख्यक नेताओं पर कार्रवाई हो चुकी है। नाहिद हसन और शहजिल इस्लाम का मामला सामने आ चुका है। आजम खान की नाराजगी चर्चा में है। इन मसलों पर पार्टी और अखिलेश चुप हैं। ऐसे में पार्टी समीक्षा बैठक में शीर्ष नेताओं की किरकिरी से बचने के लिए बैठक को लगातार आगे टालती दिख रही है।
आगे माहौल बदलने की उम्मीद
समाजवादी पार्टी में आजम खान को मनाने की कोशिशें जारी हैं। पार्टी के नेता बुलडोजर अभियान पर अब हमला करते नजर आ रहे हैं। अखिलेश यादव ने भी इस पर बयान दिया है। ऐसे में पार्टी एक माहौल बनाने की कोशिश कर रही है। इससे समीक्षा बैठक में सीधे शीर्ष नेतृत्व प सवाल खड़ा न हो। वहीं, रमजान का महीना होने और ईद के बाद समीक्षा बैठक की बात कर पार्टी की ओर से अपने प्रमुख वोट बैंक के बीच संदेश देने की भी कोशिश है कि पार्टी उनकी परवाह करती है।
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