पहली बार अप्रैल में पारा 40 डिग्री सेल्सियस के जो पार हुआ तो फिर नीचे आया ही नहीं। तापमान ने थोड़े-बहुत हिचकोले लिए भी लेकिन 40 डिग्री सेल्सियस के आसपास ही रहा है। बीते सालों में अप्रैल में गर्मी खूब पड़ी है लेकिन पारा कुछ दिन के बाद नीचे आ जाता रहा। ऐसा पहली बार हो रहा है कि तापमान घटा ही नहीं। इससे गर्मी के दुष्प्रभाव बढ़ रहे हैं।
इसका इंसानी सेहत, फलों, सब्जियों, अनाजों और दुधारू पशुओं पर भी असर आ रहा है। मौसम विज्ञानी इसे जलवायु परिवर्तन का लक्षण मान रहे हैं। मौसम का मिजाज बदला है जिससे मौसमी गतिविधियां आगे-पीछे हो गईं। सीएसए के मौसम विभाग के प्रभारी डॉ. एसएन सुनील पांडेय का कहना है कि इस बार मानसून के पहले होने वाली बारिश भी नहीं हुई है। इस कारण गर्मी बनी हुई है।
छह अप्रैल से बुधवार 20 अप्रैल तक पारा 40 डिग्री सेल्सियस रहा या इससे ऊपर। बीते सालों में अप्रैल के महीने में पारा 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचा है लेकिन दो-चार दिन के बाद बदली आई और बूंदाबांदी ने राहत दे दी। पारा झट से आठ-10 डिग्री नीचे भी आ गया। इससे गर्मी लगातार नहीं हो पाई।
इस बार तपिश लगातार बनी हुई है। मौसम विज्ञानी डॉ. सुनील पांडेय का कहना है कि आगे भी गर्मी बरकरार रहने के आसार हैं। कानपुर परिक्षेत्र में अभी कोई मौसमी गतिविधि नहीं है। हल्के बादल आएंगे लेकिन हवाओं की गति तेज होने से ठहरेंगे नहीं। उनका कहना है कि प्री मानसून बारिश पहले मार्च से शुरू हो जाती रही है।
इस बार एक भी बार नहीं हुई है। बुधवार को अधिकतम तापमान सामान्य औसत से 4.2 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 3.3 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा है। गर्मी अधिक होने से किसानों को सलाह दी गई है कि सुबह 11 बजे से शाम चार बजे के बीच खेतों में काम न करें। पशुओं को सुबह-शाम नहलाएं और शाम को चराएं। 15-15 दिन के अंतराल में फसलों की सिंचाई करें। कटाई और मड़ाई के लिए समय अनुकूल है।
तापमान
अधिकतम-42.2 डिग्री सेल्सियस
न्यूनतम-24.6 डिग्री सेल्सियस
इन सालों में इतने दिनों तक 40 के पार या आसपास रहा पारा
वर्ष 2016 में छह से 18 अप्रैल तक 12 दिन
वर्ष 2017 में 28 से 30 अप्रैल तक 02 दिन
वर्ष 2018 में 21 से 24 अप्रैल तक 03 दिन
वर्ष 2019 में 25 से 30 अप्रैल तक 05 दिन
वर्ष 2021 में 13 से 16 अप्रैल तक 03 दिन
(वर्ष 2020 की अप्रैल में अधिकतम पारा 40 तक नहीं पहुंचा था)
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