लखनऊ: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की योगी आदित्यनाथ सरकार (Yogi Adityanath Government) के तीन बड़े निर्णय और एक कार्य इस समय सुर्खियों में हैं। योगी सरकार ने मस्जिदों में अजान के लिए बजने वाले लाउडस्पीकर की आवाज परिसर तक ही सीमित करने का आदेश दिया है। इसके अलावा सरकारी कर्मचारियों को कोरोना संक्रमण होने की स्थिति में एक माह का अवकाश देने की घोषणा की गई है। साथ ही, सभी प्रशासनिक व्यवस्था में लगने वाले अधिकारियों की छुटि्टयां 3 मई तक के लिए स्थगित कर दी गई हैं। वहीं, बांग्लादेश से आए हिंदू परिवारों को जमीन का आवंटन कर दिया गया। इस मौके पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से लाए गए नागरिकता संशोधन विधेयक (CAA) का भी जिक्र किया। इससे साफ हो गया है कि योगी आदित्यनाथ वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी की नीतियों की पिच तैयार करने में जुट गए हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान कर्मचारियों की नाराजगी की खबरें सामने आ रही थीं, उन्हें अपने हिसाब से योगी आदित्यनाथ पुचकारने का कार्य कर रहे हैं। इसके अलावा सांप्रदायिक मामलों पर योगी अपनी ‘कड़क’ छवि को भी पेश करने से नहीं चूक रहे हैं। आइए समझते हैं योगी के फैसलों का क्या है मतलब!
निर्णय 1: अजान विवाद के बीच सीएम योगी के फैसले ने बढ़ाई हलचल
देश भर में अजान विवाद इस समय काफी तूल पकड़े हुए है। खासकर महाराष्ट्र में शिवसेना और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के बीच माहौल गरमाया हुआ है। राज ठाकरे सीधे महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार को चुनौती देते दिख रहे हैं। उद्धव ठाकरे इस समय महा विकास अघाड़ी सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं। इसलिए, वे अजान और हनुमान चालीसा विवाद के बीच का रास्ता निकालने की कोशिश में हैं। वहीं, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने सीधा आदेश दे दिया है कि मस्जिदों में होने वाली अजान के लिए लाउडस्पीकर की आवाज परिसर तक ही रहे। सीएम योगी के आदेश के बाद निश्चित तौर पर प्रशासनिक स्तर पर भी लाउस्पीकर की ध्वनि की तीव्रता पर प्रशासनिक पदाधिकारियों की नजर रहेगी।
लाउडस्पीकर पर योगी के फैसले का असर क्या
मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने 3 मई यानी ईद के बाद मस्जिदों में लाउडस्पीकर से होने वाली अजान पर रोक लगाने की मांग की है। उन्होंने सीधी चेतावनी दे डाली है कि अगर यह बंद नहीं होता है तो मस्जिदों के सामने हनुमान चालीसा का पाठ होगा। इस प्रकार की बातें यूपी में भी सुनाई देने लगी थीं। सीएम योगी के आदेश के बाद जब मस्जिदों में होने वाली अजान की आवाज परिसर तक रहेगी तो फिर हनुमान चालीसा का पाठ जैसी स्थिति आएगी ही नहीं। ऐसे में प्रदेश में सांप्रदायिक तनाव बढ़ने का खतरा कम होगा। साथ ही, सीएम योगी की हिंदुत्व वाली छवि का भी विस्तार होना तय है।
निर्णय 2 : अधिकारियों की छुटि्टयां की गई हैं रद्द
सीएम योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को प्रदेश में पर्वों को लेकर अधिकारियों की छुटि्टयां रद्द करने का निर्देश दिया है। कमिश्नर, डीएम, एसपी से लेकर निचले स्तर तक के प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों की तमाम छुटि्टयां रद्द 4 मई तक रद्द कर दी गई हैं। छुट्टी पर गए अधिकारियों को 24 घंटे के भीतर अपने पदस्थापन स्थल पर कार्यभार ग्रहण करने का निर्देश दिया गया है। प्रदेश में ईद और अक्षय तृतीया दोनों त्यौहार धूमधाम से मनाया जाता है। अक्षय तृतीय 3 मई को होना है। वहीं, चांद दिखने की स्थिति में ईद भी 3 मई को हो सकता है। इन दोनों पर्वों के दौरान प्रदेश में बड़े पैमाने पर सड़कों पर हलचल दिखती है। पर्वों के मौके पर किसी प्रकार की विधि व्यवस्था जैसी स्थिति न उत्पन्न हो, इसके लिए विशेष तौर पर रणनीति तैयार की गई है।
छुट्टियां रद्द होने का क्या होगा असर?
अधिकारियों की छुटि्टयां करीब 14 दिन पहले रद्द किए जाने पर प्रशासनिक स्तर पर उठ रहे हैं। इसको लेकर सरकार की मंशा साफ हो गई है। सीएम योगी ने भी साफ किया है कि अधिकारी अपने इलाके में धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजकों के साथ बैठक करें। जुलूस केवल परपंरागत आयोजकों को निकालने की मंजूरी दी जाएगी। मंजूरी दिए जाने से पहले आयोजकों से लिखित किसी प्रकार की अप्रिय स्थिति उत्पन्न न होने देने का करार किया जाएगा। अगर इलाके में धार्मिक जुलूस के दौरान अगर कोई अप्रिय स्थिति उत्पन्न होती है तो जिम्मेदारी तय करने में इससे आसानी होगी। योगी सरकार ने कानून व्यवस्था को प्रभावी बनाने के लिए जो बुलडोजर मॉडल अपनाया है, उसका खौफ पहले ही दिखा दिया जाने की पूरी तैयारी है।
निर्णय 3 : कोरोना संक्रमण के मामले में एक माह की छुट्टी
योगी सरकार ने कोरोना संक्रमण के मामलों में सरकारी कर्मचारियों को एक माह का आकस्मिक अवकाश देने का फैसला लिया है। अगर किसी कर्मचारी को कोविड-19 का इंफेक्शन होता है तो यूपी सरकार की ओर से उन्हें इलाज और इस बीमारी से निजात के लिए अधिकतम एक माह की छुट्टी की मंजूरी देगी। आगे भी इलाज कराने की स्थिति में अन्य छुटि्टयां दी जाएंगी। घर में कोरोना संक्रमण होने के बाद 21 दिनों की छुट्टी दिए जाने की तैयारी की गई है। योगी सरकार के आदेश ने कर्मचारियों को मानसिक तौर पर कोरोना काल में भी काम करने के लिए तैयार रहने में मदद की है।
अवकाश मिलने का असर क्या
कोरोना संक्रमण की आहट के साथ ही योगी सरकार के निर्णय ने कर्मचारियों की एक बड़ी चिंता से निजात दिला दी है। साथ ही, सरकार के खिलाफ कर्मचारियों का चुनाव के समय में उनकी सुधि नहीं लिए जाने का जो गुस्सा था, वह भी कम होगा। कर्मचारियों के मन में एक सॉफ्ट कॉर्नर बनाने की कोशिश करती योगी सरकार दिख रही है।
कार्रवाई : बांग्लादेशी हिंदुओं को जमीन पट्टा का वितरण
योगी आदित्यनाथ ने करीब 52 साल बाद पूर्वी पाकिस्तान यानी वर्तमान बांग्लादेश से विस्थापित होकर आए हिंदू परिवारों को पुनर्वासन के लिए जमीन पट्टों का वितरण किया। वर्ष 1970 में ये हिंदू परिवार बांग्लादेश से उत्तर प्रदेश आए थे। ऐसे 63 हिंदू परिवारों को जमीन का पट्टा देकर उनकी दशकों की प्रतीक्षा को समाप्त किया गया। कानपुर देहात के रसूलाबाद में रहने वाले इन परिवारों के पुनर्वासन की व्यवस्था योगी सरकार की ओर से की गई है। हरेक परिवार को खेती के लिए दो एकड़ और घर बनाने के लिए 200 वर्ग मीटर जमीन आवंटित किया गया है। साथ ही, मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत सभी परिवारों को एक-एक आवास और शौचालय की सुविधा दी गई है।
कार्रवाई का क्या होगा असर
योगी ने इस कार्रवाई से नागरिकता संशोधन कानून को जमीन पर उतार दिया। इस कानून को लेकर जिस प्रकार से किसी धर्म विशेष के लोगों की नागरिकता छीने जाने की जो अफवाह फैलाई गई थी, उसे भी खत्म कर दिया। योगी ने कहा भी कि पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को भारत में नागरिकता और पुनर्वासन के लिए एक्ट पास किया गया। उसी का सुफल है कि यूपी सरकार हिंदू परिवारों के पुनर्वासन की कार्रवाई को आगे बढ़ा रही है। लोकसभा चुनाव 2024 में इस मुद्दे को यूपी में अलग तरीके से उठाने का प्रयास होगा।
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