बाराबंकी: उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में रामनगर तहसील परिसर की दीवारों पर बड़े-बड़े अक्षरों में अज्ञात व्यक्ति ने ‘एसडीएम चोर, मुर्दाबाद व घूसखोर’ लिखकर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं। तहसील परिसर की दीवारों पर लिखा होने से अफसरों में हड़कंप मच गया। आनन-फानन में कर्मचारियों ने इसको मिटवाया। मामला एसडीएम के संज्ञान में आने के बाद पुलिस को मामले की जांच कर कार्रवाई के लिए निर्देशित किया है।
जानकारी के अनुसार, शनिवार को रामनगर तहसील में आयोजित तहसील दिवस के दिन अज्ञात लोगों ने रामनगर एसडीएम केडी शर्मा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए तहसील परिसर के गेट और दीवारों पर नीले रंग से एसडीएम घूसखोर, चोर और मुर्दाबाद लिखकर गुस्सा जताया। दिन में ही दीवारों पर लिखे गए विरोध की भनक पुलिस को नहीं लग सकी। तहसील दिवस के बाद परिसर की दीवारों में लिखे गए एसडीएम के विरोध को पुलिस ने आनन-फानन में हटवाकर जांच में जुट गई है।
पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष ने दी थी चेतवानी
एसडीएम केडी शर्मा के अनुसार, पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष राम शरण पाठक के खिलाफ जारी आरसी के मामले में 10 लाख रुपये रिकवरी के लिए 13 अप्रैल को उनके आवास गए थे। संतोषजनक जवाब न देने पर एसडीएम केडी शर्मा ने पुलिस फोर्स के साथ पूछताछ के लिए उन्हें थाने ले आए थे। एसडीएम से काफी नोकझोंक के बाद पूर्व चेयरमैन रामशरण पाठक ने हाई कोर्ट का स्टे आर्डर दिखाया था, जिस पर उन्हें थाने से छोड़ा गया था। एसडीएम के रवैए से नाराज पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष रामशरण पाठक ने एसडीएम केडी शर्मा पर तहसील क्षेत्र में अवैध निर्माण करवाने और धन वसूली के आरोप लगाते हुए बयान जारी कर पूरे विधानसभा में भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी दी थी।
एसडीएम ने कार्रवाई के दिए निर्देश
एसडीएम केडी शर्मा ने बताया कि शनिवार तहसील दिवस पर आए फरियादियों की समस्याएं सुनी जा रही थीं। बाहर दीवारों पर कौन लिख गया, इसकी जानकारी नहीं है। फिलहाल सूचना मिली है कि रामनगर पुलिस को जांच कर कार्रवाई के लिए निर्देशित किया है।
लोकायुक्त की जांच, कार्रवाई विचाराधीन
सिविल कोर्ट बाराबंकी के वरिष्ठ अधिवक्ता अखिलेश मौर्य ने बताया कि रामनगर नगर पंचायत पहले से विवादों में है। 2016 में तत्कालीन चेयरमैन राम शरण पाठक के खिलाफ श्रवण कुमार शुक्ला नाम के व्यक्ति ने आय से अधिक संपत्ति की शिकायत लोकायुक्त से की थी, जिसमें करीब 12 करोड़ की जमीन और रुपये गबन करने के आरोप लगाए गए थे। 2016 से कई बार इस जांच में रिपोर्ट मांगी गई, लेकिन जिले में तैनात रहे आईएएस अफसर अखिलेश तिवारी, उदय भानु त्रिपाठी और वर्तमान डीएम डॉ. आदर्श सिंह व कमीश्नर ने उपलब्ध नहीं कराई। लोकायुक्त के आदेश पर इन अफसरों की जांच विजिलेंस से कराई गई, जिसमें फाइल दबाने के आरोप में दोषी पाए जाने के बाद इन पर कार्रवाई के लिए नियुक्ति विभाग को पत्र लिखा गया था। वकील ने बताया कि लोकायुक्त द्वारा दिए गए आदेश पर कोई कार्रवाई न होने पर तीन महीने बाद लोकायुक्त ने नाराजगी जताई थी। इसके बाद जनवरी 2022 को (ACS) एसीएस होम अवनीश अवस्थी ने नियुक्ति विभाग, अपर मुख्य सचिव नगर विकास विभाग को पत्र लिखकर सभी पर कार्रवाई करने के लिए कहा, जो अभी भी विचाराधीन है।
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