ग्रेटर नोएडा: जेवर में बन रहे देश के सबसे बड़े इंटरनैशनल एयरपोर्ट (Jewar International Airport) के रनवे की लंबाई 3900 मीटर और चौड़ाई 45 मीटर होगी। प्रदेश के मुख्य सचिव डीएस मिश्रा की अध्यक्षता में बुधवार को लखनऊ में डिवेलपमेंट प्लान को मंजूरी मिलने के बाद यह बात सामने आई है। विदेशी कंपनी की तरफ से देश में पहली बार बनाए जा रहे इस एयरपोर्ट पर यूरोपियन देशों की तरह कॉमन होल्डिंग एरिया से घरेलू उड़ान पकड़ने में सुरक्षा जांच से छूट की योजना लागू नहीं रहेगी। भारत सरकार के गृह मंत्रालय व नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने डिवेलपमेंट प्लान में यूरोपियन देशों की तर्ज पर सुरक्षा जांच से छूट देने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है।
75 मीटर चौड़े पंख वाले विमान भी उतर सकेंगे
देश के सबसे बड़े एयरपोर्ट को इस तरह तैयार किया जा रहा है दुनिया का सबसे बड़ा विमान भी उतर सके। डिवेलपमेंट प्लान में बताया कि लगभग चार किमी लंबे रनवे को इस हिसाब से तैयार किया जा रहा है कि इस पर 75 मीटर विंग स्पैन वाले विमान आसानी से उतर सकेंगे। पहले रनवे के निर्माण की लागत 5730 करोड़ रुपये आएगी। ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट के रनवे को बनाने के लिए कंपनियों का चयन 28 अप्रैल को पूरा होगा।
तीन मंजिला एयरपोर्ट टर्मिनल बिल्डिंग
नोएडा एयरपोर्ट की टर्मिनल बिल्डिंग तीन मंजिला होगा। मुख्य प्रवेश हॉल का आकार 200 मीटर लंबा, 117 मीटर चौड़ा व 50 मीटर ऊंचा होगा। टर्मिनल बिल्डिंग में ग्राउंड फ्लोर, लेवल 1 और लेवल 2 होंगे। सालाना 12 मिलियन यात्रियों को संभालने की क्षमता वाले इस एयरपोर्ट पर तीन एप्रोच टैक्सीवे होंगे। एयरपोर्ट के जमीन की चारदीवारी का काम जारी है। अब तक 9 किमी की चारदीवारी पूरी हो गई और 8 किमी बाकी है। आगमन के लिए एक व प्रस्थान के दो गेट होंगे। इस ईको फ्रेंडली एयरपोर्ट के निर्माण के बाद हवाई अड्डा भारतीय ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल (आईजीबीसी) प्लेटिनम रेटिंग की मांग करेगा।
शून्य दृश्यता में भी लैंड कर सकेंगे विमान
पायलटों को कोहरे में भी नोएडा एयरपोर्ट पर विमान उतारने में कोई परेशानी नहीं होगी। विमानों के उड़ान भरने और उतरने में सबसे महत्वपूर्ण उपकरण इंस्टूमेंट लैंडिंग सिस्टम (आईएलएस) कैट थ्री-सी से इस एयरपोर्ट को लैस किया जाएगा। यह अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा आईएलएस कैट वन, टू और थ्री प्रणाली से युक्त होगा। कैट-1 प्रणाली के उपकरण में विमानों के उतरने और उड़ान भरने के लिए 800 मीटर से अधिक दृश्यता की आवश्यकता होती है, जबकि कैट थ्री-सी प्रणाली में दृश्यता शून्य होने की स्थिति में भी विमान आसानी से लैंडिंग और टेकऑफ कर सकते हैं।
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