झांसी: बांदा जिला कारागार में बंद कई कैदी इस सामाजिक धारणा को बदलने का प्रयास कर रहे हैं कि जेल पहुंचने के बाद इंसान के जीवन के सुधार का रास्ता खत्म हो जाता है। कई तरह के गंभीर अपराधों को अंजाम देने वाले और कई तरह के गंभीर मामलों के विचाराधीन बंदियों के बीच बहुत सारे ऐसे बंदी हैं, जो अपने जीवन की राह को बदलने के लिए आतुर दिखाई देते हैं। झांसी के जिला कारागार में इस समय 30 से अधिक ऐसे बंदी हैं, जो दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से विभिन्न पाठ्यक्रमों की पढ़ाई कर रहे हैं।
पोस्ट ग्रेजुएट तक की कर रहे पढ़ाई
जिला कारागार में बंद बंदियों में से दो ने अभी कुछ दिनों पहले फूड न्यूट्रिशन के कोर्स में दाखिला लिया है। दो ऐसे बंदी इस समय स्नातक कर रहे हैं, जो जेल आए थे तो आठवीं तक पढ़े थे। जिला कारागार में बंद 9 बंदी पांचवीं की और 9 बंदी आठवीं कक्षा की पढ़ाई कर रहे हैं। इन सबकी पढ़ाई तालपुरा स्थित विद्यालय के माध्यम से कराई जा रही है। इग्नू के माध्यम से 10 बंदियों का स्नातक का पाठ्यक्रम चल रहा है। जिला कारागार में बंद एक बंदी एमए की पढ़ाई दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से कर रहा है।
जेल में होती है परीक्षा
जिला कारागार में स्नातक की पढ़ाई कर रहे पप्पू और ओमकार आजीवन कारावास की सजा से दंडित हैं। ये दोनों यहां आने से पहले हाईस्कूल पास थे। परीक्षा के इस मौसम में जिला कारागार में भी बहुत सारे बंदी अपनी परीक्षाओं की तैयारी में जुटे हुए हैं। जिला कारागार के वरिष्ठ जेल अधीक्षक रंग बहादुर पटेल के मुताबिक, जिला जेल में कोई भी बंदी पढ़ाई करना चाहता है तो उसकी मदद की जाती है, जो बंदी प्राथमिक कक्षाओं में पढ़ाई कर रहे हैं, उनकी परीक्षाएं जेल में ही कराई गई हैं।
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