मेरठ: राष्ट्रीय लोकदल मुखिया चौधरी जयंत (Jayant Chaudhari) और आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद (Chandrashekhar Azad) की जुगलबंदी क्या कोई सियासी गुल खिलाएगी? दरअसल, एक सप्ताह पहले ही दोनों की दिल्ली में मुलाकात हुई थी और अब राजस्थान में दलित युवक जितेंद्र मेघवाल को न्याय दिलाने के लिए पाली राजस्थान में तीन अप्रैल को साथ आवाज बुलंद करेंगे। दोनों के साथ चलने को राजस्थान चुनाव में नया सियासी समीकरण बनाने के तौर पर यह कदम माना जा रहा है। साथ ही यूपी में भी 2024 में नई सियासी पहल की उम्मीद जाग जाए से इनकार नहीं किया जा सकता।
यूपी में आरएलडी-सपा गठबंधन में जगह बनाने में नाकाम आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर को लेकर लगता अब सोच बदल रही है। सपा मुखिया अखिलेश यादव से सीटों को लेकर सहमति नहीं बनने पर आजाद समाज पार्टी ने अलग चुनाव लड़ा। सियासी दोस्ती नहीं होने पर चंद्रशेखर ने अखिलेश यादव पर आरोप लगाया था कि उनको दलितों की जरूरत नहीं हैं। दलित को साथ उन्हें नहीं चाहिए, लेकिन चुनाव परिणाम में सोच के विपरीत रिजल्ट आने के बाद गठबंधन हताश है।
तीन अप्रैल को जयंत और चंद्रशेखर राजस्थान के पाली में जाएंगे
सियासी जानकार बीजेपी की जीत की बड़ी वजह इस बार दलितों का कोर वोटर कहे जाने वाले दलित के साथ मिलने को बता रहे हैं, जिसके बाद अब गठबंधन के एक घटक आरएलडी मुखिया जयंत चौधरी का दोस्ती का हाथ चंद्रशेखर की तरफ बढ़ा है। एक सप्ताह पहले ही जयंत चौधरी के बुलावे पर चंद्रशेखर दिल्ली में उनके घर मिलने गए थे और अब तीन अप्रैल को जयंत और चंद्रशेखर राजस्थान के पाली में जाएंगे। जहां वह दलित युवक जितेंद्र मेघवाल को न्याय दिलाने के संयुक्त रूप से आवाज बुलंद करेंगे। दलित जितेंद्र की हत्या बेरहमी कर दी गई थी।
जुगलबंदी राजस्थान में होने वाले विधानसभा को लेकर खास है
माना जा रहा है कि चौधरी जयंत और चंद्रशेखर आजाद की यह जुगलबंदी राजस्थान में होने वाले विधानसभा को लेकर खास है। पिछले चुनाव में भी आरएलडी ने वहां खासी मजबूती दिखाई थी। उनके एक विधायक सुभाष चौधरी भरतपुर से जीते थे। इस बार चंद्रशेखर की दोस्ती के बल पर दलितों का साथ हासिल कर बड़ी सियासी ताकत बनने की रणनीति मानी जा रही है। इसी के साथ 2024 के चुनाव में भी सपा आरएलडी गठबंधन में चंद्रशेखर को लेकर दलित वोटों को साधने वाला कदम भी माना जा रहा है।
हम दोनों युवा- चंद्रशेखर
चंद्रशेखर आजाद का कहना है कि चौधरी जयंत और मैं युवा हैं। युवाओं के सपने और जरूरत को हम जानते हैं। फिलहाल राजस्थान में एक युवा को न्याय दिलाने की काम करएंगे। बाकी सब उसके बाद तय होगा, लेकिन इतना जरूर है कि समाज में नफरत पैदा करने वाली भाजपा जैसी पार्टी को बहुजन समाज को साथ मिलाए बिना नहीं हटाया जा सकता।
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