इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि लंबित कार्यवाही के दौरान रखरखाव के लिए हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 24 के तहत याचिका को स्वीकार कर लिया गया है। साथ ही वैवाहिक विवाद मामले में एक पक्ष को मुकदमेबाजी के खर्चे का भुगतान किया जा रहा है, तो मामले को दूरी और वित्तीय तनाव के आधार पर स्थानांतरित नहीं किया जा सकता है। यह आदेश न्यायमूर्ति नीरज तिवारी ने इटावा की शालिनी दुबे उर्फ राधिका दुबे की याचिका को खारिज करते हुए दिया है।
कोर्ट ने अभिलाषा गुप्ता बनाम हरिमोहन गुप्ता के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश का हवाला दिया। कहा कि इस तरह के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही नियम तय कर दिए हैं। इसलिए याचिका मेरिट के आधार पर पोषणीय नहीं है। शालिनी दुबे ने तलाक की कार्यवाही को औरैया फैमिली कोर्ट से इटावा अदालत में स्थानांतरित करने के लिए हाईकोर्ट केसमक्ष आवेदन किया था, जहां वह वर्तमान में रह रही है। कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।
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