लखनऊ : डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Maurya) को इस बार उच्च सदन में नेता की जिम्मेदारी दी जा सकती है। पिछली बार डिप्टी सीएम रहे डॉ़ दिनेश शर्मा (Dinesh Sharma) विधान परिषद में नेता सदन थे। इस बार डॉ शर्मा मंत्रिमंडल का हिस्सा नहीं हैं जबकि मुख्यमंत्री विधान सभा के नेता होंगे। वहीं दूसरे डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक भी विधान सभा के ही सदस्य हैं।
सरकार की तरफ से जवाब देने, सभी प्रस्ताव रखने और यहां तक की उच्च सदन में बजट पेश करने का अधिकार नेता सदन का होता है। ऐसे में यह जिम्मेदारी सामान्य तौर पर सरकार में वरिष्ठ पद पर तैनात को ही दी जाती है। पिछली बार मुख्यमंत्री समेत दोनों डिप्टी सीएम उच्च सदन के ही सदस्य थे। ऐसे में विकल्प दोनों डिप्टी सीएम में से किसी को एक को चुनने का था। वैसे भी डॉ दिनेश शर्मा मेयर के तौर पर लखनऊ नगर निगम का सदन चला चुके थे, लिहाजा उन्हें ही तरजीह दी गई थी।
इस बार मुख्यमंत्री और दूसरे डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक विधान सभा के सदस्य हैं। जबकि केशव प्रसाद मौर्य सिराथू सीट से चुनाव हारने की वजह से सदन में नहीं पहुंच पाए हैं। हालांकि वह उच्च सदन के सदस्य हैं। लिहाजा सूत्रों का कहना है कि इस बार उच्च सदन में सरकार का पक्ष रखने और सदन का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी केशव प्रसाद मौर्य के हिस्से आ सकती है। फिलहाल उच्च सदन में भाजपा विधायक दल के उपनेता लक्ष्मण प्रसाद आचार्य हैं।
उच्च सदन में रहेगा भाजपा का बहुमत
पिछले कार्यकाल में उच्च सदन में भाजपा कमजोर थी। सपा का बहुमत था। मौजूदा समय में ही अगर देखें तो भाजपा के 35 सदस्य हैं जबकि सपा के हिस्से 17 सीटें हैं। 36 सीटों पर एमएलसी चुनाव का परिणाम अभी आना शेष है। परिणाम के बाद भाजपा और सपा के बीच सीटों का अंतर काफी बढ़ जाने की उम्मीद है। जानकारों के मुताबिक एक साथ कई सीटों का नोटिफिकेशन जारी होने पर ही सपा के हिस्से सीटें आ सकती हैं। वहीं कांग्रेस और बसपा के सदस्यों का निर्वाचन फिलहाल उच्च सदन में होना लगभग मुमकिन नहीं है, क्योंकि बसपा के केवल एक विधायक हैं जबकि कांग्रेस के दो सदस्य हैं।
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