ग्वालटोली में शातिरों ने कम पढ़े लिखे युवक को सात हजार रुपये में चपरासी की नौकरी देने के बाद उसके नाम पर फर्जी फर्म बनाई और बिना आयकर भरे ही करोड़ों का व्यापार कर लिया। आयकर विभाग ने जब चपरासी को सात करोड़ से ज्यादा की रकम के संबंध में नोटिस भेजी तो उसे सच्चाई का पता चला। कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने चार बैंक कर्मियों समेत पांच के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर जांच शुरू की है।
बर्रा जरौली फेज-1 निवासी संजय कुमार वर्मा ने पुलिस को बताया कि उसकी जान पहचान ग्वालटोली के नवशील अपार्टमेंट निवासी नंद किशोर श्रीवास्तव से थी। 2015 में सिविल लाइंस स्थित शेयर का काम करने वाले ऑफिस में नंद किशोर ने सात हजार रुपये महीने पर चपरासी की नौकरी दे दी।
इसके बाद उसका पैन कार्ड बनवा कर बैंक कर्मी को ऑफिस में बुलाकर कई कागजों पर उसके हस्ताक्षर करवाए। आरोप है कि नंद किशोर ने बैंक कर्मियों की मदद से उसके नाम पर शिवम कमोडिटीज के नाम से फर्जी फर्म खोली। दिसंबर 2016 में उसे नौकरी से निकाल दिया।
2017 में आयकर विभाग की ओर से एक नोटिस मिला, जिसमें पता चला कि फर्जी कंपनी के खातों में सात करोड़ 80 लाख रुपये जमा करने के बाद निकाले गए हैं। जिसका मालिक संजय को बताया गया है। आयकर विभाग के अधिकारियों को जानकारी दी तो उन्होंने रिपोर्ट दर्ज करवाने की सलाह दी। पांच सालों तक वह रिपोर्ट दर्ज करवाने के लिए भटकते रहे। आखिर में कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने नंद किशोर, बैंक कर्मी बृजेश कुमार, बैंक कर्मी गौरव पांडेय समेत पांच के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई।
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