लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Election 2022) में भारी जीत दर्ज करने के बाद भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janata Party) की सरकार बनने जा रही है। योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं। इस शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियां अटल बिहारी वाजपेयी इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम इकाना (Ekana Stadium) में पूरी करा ली गई है। शाम 4 बजे योगी अपनी कैबिनेट के साथ शपथ लेंगे। इस दौरान वे पद के साथ गोपनीयता (Oath of Office and Secrecy) की भी शपथ लेंगे। गोपनीयता की शपथ (Oath of Secrecy) का मतलब है कि पद धारण करने वाला व्यक्ति बिना किसी प्रभाव के पद से संबंधित जानकारियों को किसी के समक्ष नहीं उजागर करेगा। योगी दोबारा इस प्रकार की शपथ लेंगे।
शपथ ग्रहण समारोह से पहले योगी आदित्यनाथ ने अपने आवास पर संभावित मंत्रियों के साथ बैठक की है। योगी आदित्यनाथ से मुलाकात करने पूर्व डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य समेत 50 नेता पहुंचे। माना जा रहा है कि इस बार के मंत्रिमंडल में करीब 20 पुराने मंत्री शपथ लेंगे। वहीं, करीब 30 नए मंत्री भी शपथ लेंगे। मुख्यमंत्री और इन सभी मंत्रियों को राज्यपाल आनंदी बेन पटेल पद और गोपनीयता की शपथ दिलाएंगी। मुख्यमंत्री और मंत्रियों की शपथ के दौरान गोपनीयता की शपथ का अपना महत्व है।
पिछली बार शपथ में योगी ने बोला था…
योगी आदित्यनाथ ने पहली बार वर्ष 2017 में पद और गोपनीयता की शपथ ली थी। इस दौरान उन्होंने कहा था, मैं आदित्यनाथ योगी…ईश्वर की शपथ लेता हूं कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा। मैं भारत की प्रभुता और अखंडता को अक्षुण्ण रखूंगा। मैं उत्तर प्रदेश राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों का श्रद्धापूर्वक और शुद्ध अंत:करण से निर्वहन करूंगा तथा मैं भय या पक्षपात, अनुराग या द्वेष के बिना, सभी प्रकार के लोगों के प्रति संविधान और विधि के अनुसार न्याय करूंगा।
मैं आदित्यनाथ योगी…ईश्वर की शपथ लेता हूं कि जो विषय उत्तर प्रदेश राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में मेरे विचार के लिए लाया जाएगा अथवा मुझे ज्ञात होगा, उसे किसी व्यक्ति या व्यक्तियों को, तब के सिवाए जबकि ऐसे मुख्यमंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों के सम्यक निर्वहन के लिए ऐसा करना अपेक्षित हो, मैं प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से संसूचित या प्रकट नहीं करूंगा।
फिर लेंगे पद और गोपनीयता की शपथ
योगी आदित्यनाथ एक बार फिर शुक्रवार 25 मार्च की शाम 4 बजे पद और गोपनीयत की शपथ लेंगे। इसमें पहला भाग पद का शपथ होता है। वहीं, दूसरे भाग में गोपनीयता की शपथ होगी। संविधान के अनुच्छेद 164(3) के तहत मंत्रियों को शपथ दिलाई जाती है। पद पर बैठने वाले व्यक्ति से संविधान उम्मीद करता है कि वे अपने पद का दुरुपयोग नहीं करेंगे। प्रदेश के सभी नागरिकों को एक समान भाव से देखेंगे। संविधान के अनुच्छेद 164 में शपथ के महत्व को बताया गया है। इसके तहत शपथ का सार तत्व पवित्र होता है। शपथ लेने वाले व्यक्ति को इसे संविधान में प्रदान किए गए प्रारूप के आधार पर ही पढ़ना है।
संविधान में साफ किया गया है कि अगर कोई व्यक्ति शपथ लेने के दौरान प्रारूप से भटक जाए तो शपथ दिलाने वाले व्यक्ति यानी राज्यपाल की जिम्मेदारी होती है कि वह शपथ लेने वाले को रोककर उसे शपथ सही तरीके से पढ़ने के लिए कहे।
संविधान में है शपथ की विस्तृत व्याख्या
संविधान में शपथ की विस्तृत व्याख्या की गई है। अनुच्छेद 60, 69, 75(1), 124(6), 148(2), 159, 164(3), 188 और 219 में पद और गोपनीयता की शपथ लेने की प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताया गया। चाहे राष्ट्रपति हों या उप राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, स्पीकर, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, सुप्रीम कोर्ट एवं हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस, जज, सांसद, विधायक और सीएजी को पद और गोपनीयता की शपथ से जोड़ा गया है।
शपथ ग्रहण के बाद करना होता है दस्तावेज पर दस्तखत
पद और गोपनीयता की शपथ लेने के बाद मुख्यमंत्री हों या मंत्री सभी लोग एक दस्तावेज पर दस्तखत करते हैं। यह संवैधानिक परिपत्र होता है। इसे राज्यों में राज्यपाल के पास रखा जाता है। यह लोकतांत्रिक व्यवस्था का एक संवैधानिक दस्तावेज होता है, जिसे हमेशा सुरक्षित रखा जाता है। इस रजिस्टर को राज्यपाल के सचिव की ओर से सत्यापित किया जाता है। इससे समझा जाता है कि यह दस्तावेज राज्यपाल की ओर से अनुमोदित किया गया है। पद और गोपनीयता के इस रजिस्टर पर दस्तखत के बाद पद धारण करने वाले व्यक्ति के संबंध में गजट नोटिफाइड कर दिया जाता है। इसके साथ ही शपथ ग्रहण की प्रक्रिया पूरी होती है।
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