एसएन मेडिकल कॉलेज की आठ मंजिला इमारत में 50 मिनट तक मरीज-तीमारदार और स्टाफ की जान सांसत में रही। यहां तीन हजार लोग फंसे हुए थे। इनमें मरीज, तीमारदार और अस्पताल स्टाफ शामिल था। आठ मंजिला इमारत में सर्जरी विभाग, हड्डी रोग विभाग, ईएनटी रोग विभाग, पैथोलॉजी लैब, अल्ट्रासाउंड सेंटर हैं। इन विभागों में 358 मरीज भर्ती थे, बाकी के 1500 तीमारदार, 650 कर्मचारी-स्टाफ और पैथोलॉजी लैब-अल्ट्रासाउंड कराने वाले मरीज रहे।
आठ मंजिला इमारत में साढ़े बारह बजे से 1:10 बजे तक धुआं पूरी तरह से फैल गया था। मरीज, तीमारदारों को बाहर निकालने के बाद सबसे बाद में डॉक्टर और स्टाफ बाहर आया। इन 50 मिनट तक सभी की जान सांसत में रही, बाहर आने के बाद भी ये लोग दहशत में नजर आए।
सर्जरी विभाग में दोपहर में करीब पांच मरीजों के ऑपरेशन चल रहे थे। इसमें हड्डी, पेट रोग और ईएनटी विभाग के मरीजों के ओटी में ऑपरेशन चल रहे थे। बाहर चीख-पुकार मचने पर डॉक्टरों ने ओटी के बाहर झांका तो अफरातफरी मची हुई थी। इसके बाद सीनियर डॉक्टरों ने जूनियरों को वार्ड से मरीजों को बाहर लेकर जाने को कहा। ओटी और आसपास के वार्ड की खिड़िकियों को खोलना शुरू कर दिया।
फिरोजाबाद के दिनेश चंद्र ने बताया कि जलने की बू आ रही थी, देखते ही देखते वार्ड में धुआं भरने लगा। इससे मरीज को खांसी होने लगी। दम घुटने लगा, इस पर बाहर आके देखा तो अफरातफरी मची हुई थी। तभी नर्स आई और बोली, आग लग गई है। मरीज को लेकर नीचे भागो। यह सुनते ही मरीज को गोद में लेकर नीचे की ओर दौड़ पड़े।
एसएन की आठ मंजिला इमारत में करीब घंटे भर तक अफरा-तफरी का माहौल रहा। धुआं भरने पर तीमारदार अपने मरीजों को गोद, पीठ और सहारा देकर बमुश्किल बाहर लाए। रामबाग निवासी रेनू देवी ने बताया कि मेरे रिश्तेदार की रीढ़ की हड्डी का ऑपरेशन हुआ है। चौथी मंजिल पर वो भर्ती थे। बेड पर मरीज से बात कर रहे थे, तभी नर्स ने आग लगने की बात कही, इसे सुनकर मेरे हाथ-पैर सुन्न हो गए। जैसे-तैसे मरीज को पीठ पर लादकर इमारत से बाहर निकाला।
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