नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजों (UP Election Result) ने न सिर्फ विपक्ष के भीतर खलबली मचाई है बल्कि भारतीय जनता पार्टी (Bhartiaya Janata Party) के अंदर भी खलबली मचाई है। खासकर उन लोगों में जिन्होंने पार्टी के भीतर रहकर बगावती तेवर अपना लिए थे। फिलहाल हालात उनके पक्ष में नहीं हैं। यूपी के पीलीभीत संसदीय क्षेत्र से बीजेपी सांसद वरुण गांधी (Varun gandhi) एक वक्त में कट्टर हिंदूवादी नेता के तौर पर अपनी इमेज बना रहे थे, लेकिन पिछले करीब एक साल से वह अपने ट्वीट के जरिए बीजेपी सरकार (BJP Government) को ही निशाने पर ले रहे हैं। चुनाव के दौरान भी वरुण गांधी बीजेपी सरकार पर लगातार कटाक्ष करने से नहीं चूके। मेनका गांधी (Menka Gandhi) भी बहुत सक्रिय नजर नहीं आ रहीं। इस बीच चुनाव के नतीजों से यह तो साफ है कि जनता तो बीजेपी के साथ है। लेकिन यह सवाल भी उठ रहा है कि ‘जूनियर’ गांधी परिवार का बीजेपी में अब क्या होगा?
मेनका गांधी सुल्तानपुर से बीजेपी की सांसद हैं तो वरुण गांधी पीलीभीत सीट से बीजेपी सांसद हैं। मेनका गांधी 1984 से लगातार लोकसभा चुनाव लड़ रही हैं। वह 1984 और 1991 में नहीं जीत पाई थीं लेकिन तब से अब तक वह आठ बार लोकसभा पहुंच चुकी हैं। पिछले सात बार से तो लगातार वह लोकसभा सांसद हैं। वह केंद्र की बीजेपी सरकार में मंत्री भी रहीं। हालांकि, 2019 में जब फिर से बीजेपी की सरकार आई तो उन्हें सरकार में कोई मंत्री पद नहीं दिया गया। वरुण गांधी खुद तीन बार के सांसद हैं।
लगातार घट रहा वरुण का कद
2013 में उन्हें बीजेपी का राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया और फिर पश्चिम बंगाल का प्रभारी भी बनाया। ऐसे में लगने लगा था कि पार्टी में उनका कद बढ़ रहा है और वह जिस तरह के बयान दे रहे थे उससे वह कट्टर हिंदूवादी के तौर पर भी अपनी पहचान बना रहे थे। लेकिन फिर धीरे-धीरे उनका कद घटना शुरू हुआ। उन्हें ना तो केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिली और ना ही पार्टी में ज्यादा तवज्जो। पिछले एक साल से तो वह लगातार पार्टी को असहज करने वाले बयान दे रहे हैं। केंद्र सरकार के कई फैसलों पर वह सवाल उठा चुके हैं। अक्टूबर 2021 में जब बीजेपी ने अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी का पुनर्गठन किया तो इससे मेनका गांधी और वरुण गांधी दोनों का नाम हटा दिया गया।
वरुण गांधी लगातार किसानों के मसले पर, गन्ने की कीमत, एमएसपी का मसला, बेरोजगारी, महिला सुरक्षा को लेकर बीजेपी सरकार को कटघरे में खड़ा करते रहे हैं। उन्होंने केंद्र सरकार की निजीकरण की नीति की भी आलोचना करते हुए ट्वीट किया था। वरुण ने चुनाव के दौरान भी ऑपरेशन गंगा पर ट्वीट कर सरकार पर सवाल उठाए। उन्होंने लिखा कि हर आपदा में अवसर नहीं खोजना चाहिए। वह ठीक उसी लाइन पर सरकार की आलोचना कर रहे थे जिस लाइन पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी सरकार को घेर रहे थे।
क्या पार्टी में छोड़ देंगे वरुण या बने रहेंगे?
एक वक्त में लगने लगा था कि वरुण गांधी बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में जा सकते हैं। इसकी चर्चा भी होने लगी थी कि क्या वह तृणमूल कांग्रेस में शामिल होंगे। लेकिन तब वरुण गांधी ने अपना स्टैंड साफ किया और कहा कि जनता ने उन्हें बुनियादी सवालों को उठाने के लिए चुनकर संसद भेजा है और वह जनता से जुड़े मुद्दे उठाते रहेंगे। चुनाव के नतीजे कुछ और होते तो शायद वरुण गांधी का अगला कदम पता चलता। लेकिन मौजूदा परिस्थिति में वरुण गांधी बीजेपी खुद से छोड़ेंगे ऐसा लगता नहीं है। बीजेपी के एक नेता ने अनौपचारिक बातचीत में कहा कि वरुण बीजेपी छोड़कर क्यों अपनी संसद सदस्यता से हाथ धोएंगे। तो क्या उनके लगातार आ रहे बयानों के बाद भी बीजेपी उन पर कुछ कार्रवाई नहीं करेगी?
इसका जवाब देते हुए बीजेपी नेता पहले तो हंसे, फिर बोले कि ऐसा करने वाले क्या वरुण अकेले हैं। हमारी पार्टी में कई ऐसे लोग हैं। उन पर कुछ बोलकर हम उन्हें क्यों बड़ा नेता बनाएं। उनकी क्या स्थिति है ये उन्हें खुद भी मालूम है और इसलिए ट्वीट करके बस खुद को मीडिया में जिंदा रखना चाहते हैं। मौजूदा परिस्थिति में लगता है कि बीजेपी भी उन्हें नजरअंदाज करेगी और वरुण गांधी खुद भी पार्टी छोड़कर नहीं जाएंगे। वरुण की संसदीय सीट वाले जिले पीलीभीत में बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में चार सीटें जीती हैं। वरुण ने कोई प्रचार नहीं किया बावजूद इसके बीजेपी का दबदबा वहां बना हुआ है।
ऐसे में वरुण को खुद ही अपने राजनीतिक भविष्य के बारे में सोचना होगा। यह सवाल भी है कि अगर वह किसी और पार्टी में जाते हैं तो फिर मेनका गांधी का क्या भविष्य होगा। फिलहाल तो दोनों को ही पार्टी ने साइडलाइन किया है और आने वाले वक्त में उनके लिए पार्टी में जगह और कम होती दिख रही है। 2024 लोकसभा चुनाव में अब क्या उन्हें बीजेपी टिकट देगी, फिलहाल की परिस्थिति में तो यह नामुमकिन सा लगता है।
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