सार
मथुरा के बरसाना में महाशिवरात्रि पर होली की पहली चौपाई रंगेश्वर महादेव मंदिर तक निकाली जाएगी। कहा जाता है कि बरसाना की रंगीली गली में शंकर भगवान ने गोपी बनकर कान्हा के साथ होली खेली थी।
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मथुरा के बरसाना की लठामार होली विश्वभर में प्रसिद्ध है। यह अनूठी परंपरा द्वापरकाल से चली आ रही है। ऐसा कहा जाता है कि लठामार होली से पूर्व बरसाना की रंगीली गली में भगवान शिव ने कान्हा के साथ होली खेली थी। श्रीकृष्ण के बाघंबर ओड़े छद्म भेष को शंकरजी ने पहचान कर गोपी रूप धारण किया था। राधा के साथ मिलकर कान्हा से होली खेली थी। इसी के चलते रंगेश्वर महादेव कहलाए।
रंगीली गली में रंगेश्वर महादेव का मंदिर है। होली की पहली और दूसरी चौपाई रंगीली गली स्थित रंगेश्वर मंदिर तक निकाली जाती है। महाशिवरात्रि पर होली की पहली चौपाई निकलेगी। राधाकृष्ण की अनुराग से भरी होली की अनेक आनंदित करने वाली लीला हुई हैं। लठामार होली से पूर्व राधा और उनकी सखियों के साथ कान्हा ने छद्म रूप धर होली खेली थी।
शंकर भगवान ने कान्हा को पहचान लिया। उन्होंने गोपी रूप धारण कर गोपियों संग मिलकर कान्हा से होली खेली और राधारानी के हिमायती बने। गोपी बने शंकरजी ने कृष्ण व उनके सखाओं को होली में खूब छकाया और भगा दिया। आज भी उसी परंपरा को निभाते हुए लाडली जी महल से रंगेश्वर महादेव तक होली की प्रथम व दूसरी चौपाई निकाली जाती है।
1605 में हुआ था रंगेश्वर महादेव मंदिर का जीर्णोद्धार
रंगीली गली निवासी सत्यनारायण श्रोत्रिय ने बताया कि सन् 1605 में रंगीली गली स्थित रंगेश्वर महादेव का जीर्णोद्धार शौपुर के राजा ने कराया था। उसके बाद लाखा बंजारे ने समय-समय पर मंदिर का जीर्णोद्धार कराया।
बरसाना के माधव गोस्वामी ने बताया कि रंगीली गली स्थित रंगेश्वर महादेव मंदिर है। इसकी लीला द्वापर काल की है। जब श्रीकृष्ण फाल्गुन माह में राधारानी व सखियों की होली की तैयारियों को देखने बाघंबर ओढ़ कर रंगीली गली में आ गए थे। तब शिवजी ने सखी का रूप धर कृष्ण के साथ होली खेली थी। तब श्रीकृष्ण को वापस जाना पड़ा था।
श्रीजी मंदिर रिसीवर के संजय गोस्वामी ने कहा कि बाघमार ओढ़े सामरे, आये फाल्गुन मास छलिया.. श्याम फाल्गुन माह में राधारानी और सखियों की होली की तैयारियों को देखने बाघंबर ओढ़ कर रंगीली आ गए। इस रूप को सखी पहचान नहीं पाईं, तब भगवान शंकर ने गोपी रूप धारण कर राधा और सखियों के साथ मिलकर कृष्ण को खूब छकाया और वापस जाने को मजबूर किया।
लाडली जी महल से होली की प्रथम चौपाई आज
महाशिवरात्रि पर कस्बे में प्रथम चौपाई लाडली जी मंदिर से शुरू होकर नागाजी कुंड, दादी बाबा मंदिर, वृषभानु जी मंदिर, अष्ट सखी मंदिर होते हुए रंगीली गली में स्थित रंगेश्वर महादेव तक निकलेगी।
विस्तार
मथुरा के बरसाना की लठामार होली विश्वभर में प्रसिद्ध है। यह अनूठी परंपरा द्वापरकाल से चली आ रही है। ऐसा कहा जाता है कि लठामार होली से पूर्व बरसाना की रंगीली गली में भगवान शिव ने कान्हा के साथ होली खेली थी। श्रीकृष्ण के बाघंबर ओड़े छद्म भेष को शंकरजी ने पहचान कर गोपी रूप धारण किया था। राधा के साथ मिलकर कान्हा से होली खेली थी। इसी के चलते रंगेश्वर महादेव कहलाए।
रंगीली गली में रंगेश्वर महादेव का मंदिर है। होली की पहली और दूसरी चौपाई रंगीली गली स्थित रंगेश्वर मंदिर तक निकाली जाती है। महाशिवरात्रि पर होली की पहली चौपाई निकलेगी। राधाकृष्ण की अनुराग से भरी होली की अनेक आनंदित करने वाली लीला हुई हैं। लठामार होली से पूर्व राधा और उनकी सखियों के साथ कान्हा ने छद्म रूप धर होली खेली थी।
शंकर भगवान ने कान्हा को पहचान लिया। उन्होंने गोपी रूप धारण कर गोपियों संग मिलकर कान्हा से होली खेली और राधारानी के हिमायती बने। गोपी बने शंकरजी ने कृष्ण व उनके सखाओं को होली में खूब छकाया और भगा दिया। आज भी उसी परंपरा को निभाते हुए लाडली जी महल से रंगेश्वर महादेव तक होली की प्रथम व दूसरी चौपाई निकाली जाती है।
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