लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election) सेंट्रल यूपी से अब चौथे चरण (Fourth Phase Of UP Elections) में अवध बेल्ट में प्रवेश कर रहा है। वहीं, पांचवें चरण से चुनाव (Fifth Phase Of UP Elections) की दिशा पूर्वांचल की ओर मुड़ जाएगी। फिर सत्ता पाने की जुगत में लगी समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने नए साथियों के साथ पूर्वांचल से उम्मीद का दामन जोड़ा है, लेकिन, कई जिलों में साइकल की राह में अपने ही ‘रोड़ा’ अटका रहे हैं। टिकट वितरण को लेकर फूटा असंतोष अब बगावत की शक्ल में सड़क पर है।
भाजपा में सेंधमारी व नए दलों से यारी के चलते सपा को पूर्वांचल में टिकटार्थियों की उम्मीदों से कुछ अधिक ही जूझना पड़ा। सबसे अधिक दिक्कत उन सीटों पर दिखी, जहां पांच साल से टिकट की उम्मीद में बाट जोह रहे उम्मीदवारों की उम्मीद सहयोगी दल या दूसरे दल से आया चेहरा ले गया। यही कारण है कि आठ से दस जिलों में पार्टी के उम्मीदवार के सामने अपना ही पुराना कार्यकर्ता ताल ठोंक रहा है।
कुछ निर्दलीय तो कुछ दूसरे दल से उम्मीदवार
सपा मुखिया अखिलेश यादव के संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ की मुबाकरपुर सीट पर भी टिकट का गुबार फूटा है। पिछली बार यहां महज 688 वोटों से बसपा से जीत दर्ज करने वाले शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली इस बार टिकट की उम्मीद से सपा में आ गए। लेकिन, यहां सपा ने पिछली बार दूसरे नंबर पर रहे अखिलेश यादव को टिकट दे दिया। अब शाह आलम यहां औवैसी की पार्टी एआईएमआईएम से सपा के खिलाफ ताल ठोक रहे हैं। गाजीपुर की जहूराबाद सीट सपा ने सहयोगी दल सुभासपा के खाते में डाल दी है।
जहूराबाद से सुभासपा मुखिया ओमप्रकाश राजभर उम्मीदवार हैं। इनके खिलाफ अखिलेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रहीं शादाब फातिमा ने बसपा से पर्चा भर दिया है। शादाब सपा से टिकट की दावेदार थीं। अंबेडकरनगर की जलालपुर सीट से सपा ने बसपा से आए राकेश पांडेय को टिकट दिया तो वहां के विधायक सुभाष राय ने भाजपा का दामन थाम लिया। वह राकेश पांडेय के खिलाफ मुकाबिल हैं।
अयोध्या की रुदौली सीट से पूर्व विधायक अब्बास अली को सपा ने टिकट नहीं दिया तो उन्होंने वहां से बसपा के टिकट पर चुनाव में दावेदारी कर दी है। श्रावस्ती सीट पर सपा के प्रत्याशी रहे मोहम्मद रमजान टिकट की दावेदारी कर रहे थे। टिकट बसपा से आए मोहम्मद असलम राईनी ले गए। रमजान ने बगावत कर दी और वह इसी सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार हैं।
गोरखपुर-बस्ती मंडल की सीटों पर पर भी बागी
छठे चरण वाली गोरखपुर-बस्ती मंडल की कई सीटों पर भी सपा के सामने सत्तारुढ़ दल के साथ ही बागियों से निपटने का संकट है। मसलन, सिद्धार्थनगर की शोहरतगढ़ सीट से अपना दल (एस) के विधायक अमर सिंह चौधरी सपा में टिकट की आस के लिए आए थे। पार्टी ने उन्हें बांसी में उम्मीदवार बना दिया। इससे खफा अमर सिंह ने शोहरतगढ़ से ही चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी से पर्चा भर दिया है।
कुशीनगर की फाजिलनगर सीट से सपा ने भाजपा से आए कैबिनेट मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य को उम्मीदवार बनाया है। उनके खिलाफ सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष इलियास अंसारी ने बसपा से दावेदारी करके राह मुश्किल कर दी है। देवरिया की रुद्रपुर सीट से सपा ने पहले प्रदीप यादव को टिकट दिया। फिर उनका टिकट काटकर रामभुआल निषाद को उम्मीदवार बना दिया। इससे नाराज प्रदीप यादव निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। रामकोला से शंभू चौधरी टिकट की आस न पूरी होने पर कांग्रेस के उम्मीदवार बन गए हैं।
खड्डा सीट से भी विजय प्रताप कुशवाहा ने सपा से बगावत कर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर ताल ठोक दी है। सहजनवा सीट से सपा ने यशपाल रावत को प्रत्याशी बनाया है। यहां पूर्व जिलाध्यक्ष जगदीश यादव के बेटे मनोज यादव भी टिकट मांग रहे थे। आस पूरी नहीं हुई तो अब कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर सामने हैं। चिल्लूपार सीट पर सपा ने बसपा से आए विनय शंकर तिवारी को प्रत्याशी बनाया तो वहां टिकट मांग रही पूनम गुप्ता ने आजाद समाज पार्टी के टिकट पर चुनौती पेश कर दी है।
संवाद व समायोजन के वादों से मनाने की कोशिश
फिलहाल, पूर्वांचल की गणित खराब करने में लगे पार्टी के बागियों को साधने की कोशिश सपा ने शुरू कर दी है। चुनाव लड़ने वाले कुछ चेहरों पर सख्त रुख अपनाते हुए उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया गया है। वहीं, बहुत से रुठों को संवाद व समायोजन के वादे से मनाया जा रहा है। पार्टी के पदाधिकारी उन्हें यह समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि अभी सरकार बनाना जरूरी है। इसके बाद सबको सम्मान दिया जाएगा।
कोशिश यह है कि जो खुलकर विरोध नहीं कर रहे उन्हें समझाकर जोड़े रखा जाए और चुनाव में सक्रिय किया जाए। सूत्रों का कहना है कि सपा मुखिया अखिलेश यादव के पूर्वांचल के प्रचार में उतरने के बाद स्थितियां बेहतर होंगी। इस दौरान भी समझाने व साथ लाने का क्रम आगे बढ़ाया जाएगा।
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