शहर के छह सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटों (एसटीपी) से शोधन के बाद गंगा में गिराया जा रहा पानी स्नान तो दूर आचमन तक करने के लायक नहीं है। यह जानकारी सोमवार को गंगा प्रदूषण मामले की सुनवाई के दौरान अधिवक्ता विजय चंद्र श्रीवास्तव, सुनीता शर्मा ने अपने हलफनामे में दी।
अधिवक्ताओं ने दाखिल हलफनामे में कोर्ट को बताया कि उनके द्वारा प्रयागराज के छह एसटीपी में गिर रहे 16 नालों के पानी के नमूने लेकर जांच कराई गई थी। उसकी रिपोर्ट आ गई है। रिपोर्ट के मुताबिक एसटीपी से शोधित कर गंगा में गिराया जा रहा पानी स्नान योग्य नहीं है। वह काला है। इस दौरान अधिवक्ताओं की ओर से गंगा में चार हजार क्यूसेक पानी छोड़े जाने पर भी सवाल खड़े किए गए।
कहा गया कि हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद जिम्मेदार अफसरों ने मौनी अमावस्या तक तो पानी छोड़ा, लेकिन उसके बाद पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं छोड़ा जा रहा है। इसलिए गंगा का पानी काला है। अधिवक्ताओं ने कुछ स्थानों के फोटोग्राफ भी प्रस्तुत किए।
इसके पूर्व कोर्ट ने मामले में सुनवाई के दौरान व्यक्तिगत हितों को लेकर दाखिल याचिकाओं को अलग कर दिया और कहा कि गंगा और यमुना में प्रदूषण के मामले को अलग-अलग सुना जाएगा। दोनों नदियों में प्रदूषण की सुनवाई एक ही तिथियों पर होगी। कोर्ट ने कुछ याचिकाओं की सुनवाई समाप्त करने का आदेश भी दिया।
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