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UP Election 2022: गजवा-ए-हिंद, हिजाबी प्रधानमंत्री, जिन्नावादी, भगवा… यूपी में कानून व्यवस्था के नाम पर क्या ध्रुवीकरण हो चुका है?

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण की वोटिंग सोमवार को है। इस बीच गन्ना बकाया भुगतान,रोजगार, प्रदेश का विकास और कानून व्यवस्था के मुद्दों से हटकर बीजेपी समेत सभी पार्टियां हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण पर आ गई है। हालांकि हिजाब विवाद को लेकर सपा, कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी पार्टियों की ओर से बीजेपी पर ध्रुवीकरण करने का आरोप लगाया जा रहा है। उधर बीजेपी का साफ कहना है कि वह विपक्ष की ओर से उठाए जा रहे हिंदू-मुस्लिमों के मुद्दों का जवाब दे रही है। उधर चुनावों से पहले खुद पीएम मोदी ने यूपी की कानून व्यवस्था में हुए भारी सुधार की चर्चा की थी। मगर चुनावी सरगर्मी तेज होने के साथ ही चुनाव सीधे तौर पर हिंदू बनाम मुस्लिम होता दिख रहा है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शनिवार को किए गए एक ट्वीट ने प्रदेश में सियासी हलचल को और बढ़ा दिया है। ट्वीट के जरिए योगी आदित्यनाथ ने एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी पर जोरदार हमला किया है। योगी ने कहा, ‘जिन्नावादियों’ का ‘जिन्न’ जनता ‘उतार’ रही है। उन्होंने आगे कहा- ‘गजवा-ए-हिन्द’ का सपना देखने वाले ‘तालिबानी सोच’ के ‘मजहबी उन्मादी’ यह बात गांठ बांध लें, वो रहें या न रहें, भारत शरीयत के हिसाब से नहीं, संविधान के हिसाब से ही चलेगा।

इससे पहले AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए भविष्यवाणी की है कि एक दिन देश की प्रधानमंत्री हिजाब पहनने वाली महिला बनेगी। जिसके जवाब में योगी आदित्यनाथ ने जोरदार पलटवार किया है। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने भी हिजाब वाली पीएम के ट्वीट पर जवाब दिया। उन्होंने कहा ‘हिजाब वाली प्रधानमंत्री की बात कहकर भारत को इस्लामिक स्टेट बनाना चाहते हैं ओवैसी, लेकिन भारत में कभी लागू नहीं होगा शरिया कानून, भारत कभी भी नहीं बनेगा गजवा ए हिंद, हिंदुस्तान अब्दुल कलाम वाला देश हो सकता है… आईएसआईएस वाला नहीं।’

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किस पार्टी के कितने मुस्लिम उम्मीदवार?
वोटों के ध्रुवीकरण बनाम विभाजन के आजमाए नुस्खे का असर इस बार संशय में है। इस चरण में सपा ने 18, बसपा ने 23, कांग्रेस ने 21 और औवेसी की पार्टी ने 15 मुस्लिमों को उतारा है। भाजपा की सहयोगी अपना दल (एस) ने भी स्वार टांडा से मुस्लिम उम्मीदवार उतारा है। कई सीटों पर इस बार भी सीधा टकराव है। पिछली बार भले बसपा इस चरण में एक भी सीट नहीं जीत पाई थी, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में उसने इस क्षेत्र की चार सीटें जीती थीं। तीन सीटें गठबंधन सहयोगी सपा को भी मिली थीं।

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क्या कहता है बीजेपी का रिपोर्ट कार्ड
सहारनपुर में जहां करीब 42% मुस्लिम हैं, वहां भाजपा को 7 में 4 सीटें मिली थीं। 43% मुस्लिम आबादी वाले बिजनौर में भाजपा ने 8 में 6 सीटें जीती थीं। एक तिहाई मुस्लिम वोटरों वाले बरेली में भाजपा ने सभी 9 सीटें कब्जाई थीं। मुरादाबाद में 6 में 2, अमरोहा में 4 में 3, रामपुर में 5 में 2, संभल में 4 में 2, बदायूं में 6 में 5, शाहजहांपुर में 6 में 5 सीटों पर भाजपा जीती थी। इस बेल्ट में दलितों के अलावा पिछली जातियां मसलन, शाक्य, सैनी, कुर्मी आदि भी प्रभावी संख्या में हैं।